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मंगला गौरी व्रत : 19 जुलाई मंगलवार को पार्वती का गौरा रूप पूजा जाएगा, जानिए पूजा विधि

मंगला गौरी व्रत : 19 जुलाई मंगलवार को पार्वती का गौरा रूप पूजा जाएगा, जानिए पूजा विधि - Mangala gauri vrat 19 july 2022
14 जुलाई 2022 से शिव जी का प्रिय सावन (श्रावण) मास शुरू हो गया है तथा श्रावण का पहला मंगला गौरी व्रत (mangala gauri vrat 2022) 19 जुलाई को मनाया जाएगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सावन में आने वाले सभी मंगलवार को सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी माता का व्रत रखती है।

भगवान शिवशंकर को प्रिय श्रावण मास में आने वाला यह व्रत सुख-सौभाग्य से जुड़ा होने के कारण इसे सुहागिन महिलाएं करती हैं। मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश में अधिक प्रचलित है।
 
श्रावण के दौरान पड़ने वाले मंगलवार का दिन देवी पार्वती यानी गौरा को अत्‍यंत प्रिय होने कारण ही इस दिन माता गौरी का पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस व्रत या उपवास को करने का उद्देश्य अखंड सुहाग की प्राप्ति तथा संतान के सुखी जीवन की कामना करना है। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी इस व्रत में माता पार्वती के गौरा रूप का पूजन किया जाएगा।

ज्ञात हो कि इस साल सावन 14 जुलाई से 11 अगस्त 2022 तक रहेगा। 
 
मंगला गौरी व्रत की तिथियां : mangala gauri vrat dates 
 
वर्ष 2022 में 4 मंगलवार पड़ रहे हैं। अत: इन सभी मंगलवारों को मंगला गौरी व्रत मनाया जाएगा। इसकी तिथियां निम्न हैं- 
 
पहला मंगलवार- 19 जुलाई 2022
दूसरा मंगलवार- 26 जुलाई 2022 
तीसरा मंगलवार- 2 अगस्त 2022
चौथा आखिरी मंगलवार- 9 अगस्त 2022।
 
सरल पूजा विधि : mangala gauri puja vidhi 
 
- श्रावण मास में मंगला गौरी व्रत के दौरान आने वाले हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।
 
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे अथवा नवीन वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
 
- मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
 
- मंत्र- 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।' इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
अर्थात्- ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
 
- अब मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं। दीपक ऐसा हो जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
 
- तत्पश्चात- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्...।।' यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
 
- माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं।
 
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। शिवप्रिया पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग तथा पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है। 
 
- पूजन के बाद मंगला गौरी की आरती करें, कथा सुनें तथा 'ॐ शिवाये नम:।' 'ॐ गौरये नम:।' 'ॐ उमाये नम:।' 'ॐ पार्वत्यै नम:।' मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।