बहुला चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है इसका महत्व और कथा?
Story of Bahula cow and lion: बहुला चतुर्थी का व्रत 22 अगस्त 2024 गुरुवार के दिन रखा जाएगा। यह व्रत भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। चतुर्थी तिथि गणेशजी की है और इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी रहेगी। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा यह व्रत खासकर गुजरात में रखा जाता है। आओ जानते हैं इसके महत्व के बारे में खास जानकारी।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01:43 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 23 अगस्त 2024 को दोपहर 10:38 बजे समाप्त।
किसकी होती है पूजा : संकष्टी चतुर्थी व्रत वैसे तो श्री गणपति जी को समर्पित है परंतु बहुला चौथ व्रत में श्रीकृष्ण और बहुला गाय की पूजा की जाती है।
महत्व : यह दिन मुख्य रूप से गायों और बछड़ों के कल्याण के लिए मनाया जाता है। बोल चौथ के दिन लोग दिन भर उपवास रखते हैं। शाम को गायों और बछड़ों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को गायों की पूजा करते हैं, उन्हें संतान, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। बोल चौथ व्रत रखने वाले भक्त दूध पीने और दूध से बने किसी भी उत्पाद को खाने से सख्ती से परहेज करते हैं।
बहुला गाय की कथा : हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को बहुला नाम की गाय से बहुत प्रेम था। एक बार श्री कृष्ण जी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया। श्री कृष्ण ने जब इस गाय को देखा तो उन्हें यह बहुत पसंद आई। वे हमेशा अपना समय इसी गाय के साथ बिताते थे। बहुला गाय का एक बछड़ा भी था। जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था।
एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख प्रसन्न हो गया और शिकार करने के लिए आगे बढ़ा। यह देखकर बहुला डर गई और उसे अपने बछड़े की चिंता होने लगी। जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे कहा कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे खा सकता है।
शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लं कि तुम वापस आ जाओगी? तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरूर आएगी। शेर ने बहुला की बातों पर विश्वास कर उसे जाने दिया। बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़कर पुन: जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है।
लेकिन असल में वह शेर शेर नहीं श्रीकृष्ण ही थे जो शेर का रूप धारण करके बहुला की परीक्षा लेने आते हैं। शेर बने श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं और बहुला को आशीर्वाद देकर कहते हैं कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही। समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन व्रत रखकर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना करेगा उसकी संतान की रक्षा होगी और वह सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति करेगा।