शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Bahula Chauth kya hai
Written By
Last Modified: शनिवार, 2 सितम्बर 2023 (18:39 IST)

Bahula chauth kab hai 2023 : भादो बहुला गणेश चतुर्थी 2023 पर क्या करते हैं किसकी होती है पूजा?

Bahula chauth kab hai 2023 : भादो बहुला गणेश चतुर्थी 2023 पर क्या करते हैं किसकी होती है पूजा? - Bahula Chauth kya hai
Ganesh Chaturthi 2023 : भाद्रपद यानी भादो माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह चतुर्थी 3 सितंबर 2023 रविवार को रहेगी। वैसे तो चतुर्थी का दिन गणपति जी को समर्पित है और इस चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी और महा स्कंद हर चतुर्थी भी कहते हैं परंतु इस दिन गणेशजी के साथ ही अन्य देव की पूजा भी होती है।
 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 02 सितम्बर 2023 को रात्रि 08:49 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 03 सितम्बर 2023 को शाम 06:24 बजे तक।
 
किसकी होती है पूजा : संकष्टी चतुर्थी व्रत वैसे तो श्री गणपति जी को समर्पित है परंतु बहुला चौथ व्रत में श्रीकृष्ण और बहुला गाय की पूजा की जाती है।
 
गणपति की पूजा का मुहूर्त- सुबह 07.35 से 10.45 तक।
शाम का मुहूर्त- शाम 06.41 से रात 09.31 तक। 
बहुला चौथ की पूजा- शाम 06.28 से 06.54 तक। 
चंद्रोदय समय- रात 08:57 बजे।
 
बहुला गाय की कथा : हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को बहुला नाम की गाय से बहुत प्रेम था। एक बार श्री कृष्ण जी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया। श्री कृष्ण ने जब इस गाय को देखा तो उन्हें यह बहुत पसंद आई। वे हमेशा अपना समय इसी गाय के साथ बिताते थे। बहुला गाय का एक बछड़ा भी था। जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था। 
 
एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख प्रसन्न हो गया और शिकार करने के लिए आगे बढ़ा। यह देखकर बहुला डर गई और उसे अपने बछड़े की चिंता होने लगी। जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे कहा कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे खा सकता है।
 
शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लं कि तुम वापस आ जाओगी? तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरूर आएगी। शेर ने बहुला की बातों पर विश्वास कर उसे जाने दिया। बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़कर पुन: जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है।
 
लेकिन असल में वह शेर शेर नहीं श्रीकृष्ण ही थे जो शेर का रूप धारण करके बहुला की परीक्षा लेने आते हैं। शेर बने श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं और बहुला को आशीर्वाद देकर कहते हैं कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही। समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन व्रत रखकर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना करेगा उसकी संतान की रक्षा होगी और वह सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति करेगा।