इस साल 2020 को गीता जयंती की 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। गीता महाभारत के शांति पर्व का एक भाग है। महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था। इस युद्ध में कौरव और पांडवों की सेना ने 18 दिनों तक युद्ध लड़ा था जिसके चलते सर्वनाश हो गया था। दोनों ही ओर के कई योद्धा मारे गए थे। कौरव के तो कुल का ही नाश हो गया था और पांडवों के भी लगभग सभी पुत्र मारे गए थे। आओ जानते हैं कुरक्षे में गीता के 10 रोचक तथ्य।
1. भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के पहले दिन अर्जुन को गीता का उपदेश तब दिया था जबकि उसने दोनों सेनाओं के बीच रथ को ले जाकर खड़ा करने को कहा था और तब दोनों सेनाओं की ओर उसने यह देखकर युद्ध करने से इनकार कर दिया था कि दोनों ही ओर मेरे अपने ही लोग है। मैं कैसे अपने पितामह भीष्म और गुरु द्रोण को मार सकता हूं?
2. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश लगभग 45 मिनट दिया था। इस 45 मिनट में उन्होंने अर्जुन को सभी तरह से समझाकर उसका मोह भंग करके यह बताया था कि तू जो युद्ध कर रहा है यह अपने लिए नहीं धर्म के लिए कर रहा है। आज यदि तू युद्ध से विमुख हो जाएगा तो इतिहास तुझे कायरों की गिनति में शामिल करेगा और कहेगा कि तूने धर्म का साथ नहीं देकर अधर्म को ही मजूबत किया।
3. गीता को अर्जुन के अलावा संजय ने सुना और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया। इसके अलावा इस ज्ञान का अर्जुन के रथ पर विराजमान हनुमानजी सहित आकाश में स्थिति सभी देवों ने सुना। यह भी कहा जाता है कि वहां से गुजर रहे एक पक्षी ने भी यह ज्ञान सुना था।
4. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की तिथि एकादशी थी जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। संभवत: उस दिन रविवार था।
5. कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।
6. आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इसका मतलब की आर्यभट्ट की गणना अनुसार गीता का ज्ञान आज से 5157 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था।
7. कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर नामक एक स्थान है जहां पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह स्थान कुरुक्षेत्र-पहावा मार्ग पर थानेसर से 5 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
8. भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।
9. गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। गीता के कुल 700 श्लोक 18 अध्याय में विभक्त हैं। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। 18 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रम्ह योग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्र क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।
10. अर्जुन के अलावा संजय, परशुराम, वेद व्यास और देवताओं ने अपनी दिव्यदृष्टि के कारण श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप या विश्व स्वरूप के दर्शन किए थे।