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Agahan Thursday Laxmi Puja : अगहन मास का चौथा गुरुवार आज, होगा मां लक्ष्मी का पूजन

Agahan Thursday Laxmi Puja : अगहन मास का चौथा गुरुवार आज, होगा मां लक्ष्मी का पूजन - Agahan Thursday Laxmi Puja
Laxmi jee Worship
 
मार्गशीर्ष माह में गुरुवार व्रत करने से सुख-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की स्थापना और पूजा की परंपरा है। 
 
इस बार जहां 17 दिसंबर को तीसरे गुरुवार की पूजा की गई और अंतिम गुरुवार (मार्गशीर्ष बृहस्पतिवार) व्रत 24 दिसंबर को किया जाएगा। मान्यता है कि तुलसी और लक्ष्मी की पूजा पूरे अगहन माह या फिर इस माह के गुरुवार को एक साथ करने और अन्न दान करने से लक्ष्मी खुश होती हैं और उनके आगमन के बाद उनका स्थायित्व बना रहता है। अगहन के हर गुरुवार को लक्ष्मी की पूजा होती है।
 
इसके संदर्भ में सनातन धर्म में भी उल्लेख किया गया है। ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है कि अगहन गुरुवार को अगर सुहागिनें बुधवार की रात घर की साफ-सफाई करने के बाद निष्ठा से लक्ष्मी की उपासना करें तो वे प्रसन्न होकर उपासक के घर स्थायी तौर पर आती हैं। इस परंपरा का निर्वाह आज के दौर में भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ किया जाता है। सुहागिनें यह व्रत करने के बाद घर की लक्ष्मी को खर्च करने से परिवार के लोगों को रोकती हैं। इस माह जो सुहागन लक्ष्मी की श्रद्धा से उपासना करती हैं, उनके घर में धन के साथ खुशहाली आती है। साथ ही लक्ष्मी और तुलसी साथ में पूजी जाती है। 
 
इसके चलते परिवार में लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है। इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाएगी और घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी। इस दिन महिलाएं व्रत रख सुबह ही पूजा कर लेती हैं तथा दोपहर में अगहन बृहस्पतिवार की कहानी सुनी जाती है।
 
इस दिन महिलाएं हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाएंगी। इन अल्पनाओं में मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाएंगे। इसके बाद गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मां लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद उन्हें विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। 
 
अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। तत्पश्चात शाम होते ही मां लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजा कर मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। 
 
गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद शाम होते ही प्रसाद खाने-खिलाने का दौर शुरू होता है। इस अवसर पर आस-पड़ोस की महिलाओं, बहू-बेटियों को प्रसाद खाने के लिए विशेष रूप से निमंत्रण दिया जाता है। इस प्रकार अगहन/मार्गशीर्ष माह में हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके मां आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

मान्यता के अनुसार अगहन गुरुवार में मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर विचरण करने आती हैं। इस अवसर पर जो भक्त मां लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा-अर्चना करता है, उसे अपार सुख-समृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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