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Last Updated : शनिवार, 11 जून 2022 (06:34 IST)

गायत्री जयंती कब है? नोट कर लें डेट, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Gayatri Jayanti 2022
Gayatri puja mantra : गायत्री नाम से वेदों में एक छंद है जिसका पहला मंत्र गायत्री मंत्र ही है। ऋग्वेद की शुरुआत गायत्री मंत्र से ही होती है। कहते हैं ब्रह्माजी की पत्नी थीं गायत्री माता। गायत्री माता को वेद माता भी कहा जाता है क्योंकि वे वेदों का ज्ञान रखती हैं। आओ जानते हैं कि गायत्री जयंती कब है, पूजा की विधि, मुहूर्त और महत्व को जान लें।
 
 
गायत्री जयंती कब है : इस बार गात्री जयंती 11 जून ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को मनाई जाएगी। मान्यता है कि माता गायत्री का प्राकट्य ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि को हुआ था। 
 
शुभ महूर्त :

एकादशी तिथि: एकादशी तिथि10 जून 2022 को प्रातः काल 07:25 बजे से प्रारंभ होकर 11 जून 2022 को प्रातः काल 05:45 बजे समाप्त होगी। पंचांग भेद से इसके समय में थोड़ा बहुत अंतर रहेगा।
 
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:30 से 12:25 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:15 से 03:09 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:35 से 06:59 तक।
अमृत काल मुहूर्त : शाम 05:51 से 07:21 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:48 से 07:50 तक।
निशिथ मुहूर्त : रात्रि 11:37 से 12:18 तक।
 
गायत्री मंत्र : 'ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
Gayatri Mata
पूजा विधि : 
1. प्रात: काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर माता गायत्री की मूर्ति या तस्वीर को पाट पीले वस्त्र बिछाकर विजराम करें। 
2. गंगाजल छिड़कर स्थान को पवित्र करें और सभी देवी और देवताओं का अभिषेक करें।
3. इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप बत्ती लगाएं।
4. अब माता की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें। पंचोपचार यानी पांच तरह की पूजन सामग्री से पूजा करने और षोडशोपचार यानी 16 तरह की सामग्री से पूजा करने। इसमें गंध, पुष्प, हल्दी, कुंकू, माला, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं।
5. इसके बाद गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें।
6 . पूजा जप के बाद माता की आरती उतारते हैं।
7. आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।
 
गायत्री जयंती का महत्व : गायत्री माता की पूजा और उनके मंत्र का जाप करने का बहुत ही ज्यादा महत्व माना गया है। यह जातक की सभी तरह की मनोकामना पूर्ण करती हैं। इनका पूजन और इनके मंत्र का जाप करने से वेदों के वेदों के अध्ययन करने के बराबर का पुण्‍य फल प्राप्त होता है।
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