• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Meaning of gayatri mantra in hindi
Written By

गायत्री मंत्र के हर शब्द का है खास अर्थ, जानिए अवश्य

गायत्री मंत्र के हर शब्द का है खास अर्थ, जानिए अवश्य - Meaning of gayatri mantra in hindi
सभी हिन्दू शास्त्रों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र है गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)। यह प्रथम इसलिए कि विश्व की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत ही इस मंत्र से होती है। कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी। गायत्री मंत्र के हर शब्द का है खास अर्थ आओ जानते हैं। 
 
मंत्र इस प्रकार है gayatri mantra- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
 
24 letters gayatri mantra 24 अक्षर गायत्री मंत्र : प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आह्‍वान हो जाता है। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षरों के चौबीस देवता हैं। उनकी चौबीस चैतन्य शक्तियां हैं। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर 24 शक्ति बीज हैं। गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं।
 
ॐ : अ, उ और म। यह तीन अक्षरों से मिलकर बना शब्द ओम है जिसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है। ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है।
 
भुर्भुव: स्व: : भू अर्थात धरती भुर्व: अर्थात अंतरिक्ष और स्व: अर्थात स्वर्गलोक। 
 
तत्सविदुर्वरेण्यं : त : परमात्मा अथवा ब्रह्म, सवितुः : ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता, वरेण्यम अर्थात पूजनीय।
 
भर्गो : अज्ञान तथा पाप निवारक।
 
देवस्य : ज्ञान स्वरुप भगवान का।
 
धीमहि धियो : हम ध्यान करते हैं बुद्धि प्रज्ञा का।
 
योनः : जो : हमें।
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें।
 
1. पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे।
 
2. उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
 
3. ॐ : सर्वरक्षक परमात्मा, भू : प्राणों से प्यारा, भुव : दुख विनाशक, स्व : सुखस्वरूप है, तत् : उस, सवितु : उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक, वरेण्य : वरने योग्य, भर्गो : शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, देवस्य : देव के, धीमहि : हम ध्यान करें, धियो : बुद्धि को, यो : जो, न : हमारी, प्रचोदयात् : शुभ कार्यों में प्रेरित करें।