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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 11 नवंबर 2024 (10:14 IST)

Bhishma Panchak 2024 : भीष्म पंचक व्रत आज से, जानें पूजा विधि और महत्व

Bhishma Panchak 2024 : भीष्म पंचक व्रत आज से, जानें पूजा विधि और महत्व - Bhishma Panchak 11 November 2024
Bhishma Panchak Vrat 2024 : आज, दिन सोमवार, 11 नवंबर 2024 से भीष्म पंचक (पञ्चक) प्रारंभ हो गया है। मान्यतानुसार प्रतिवर्ष देवउठनी एकादशी के दिन से भीष्म पंचक व्रत शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। लेकिन इस वर्ष भीष्म पंचक व्रत की शुरुआत सोमवार, 11 नवंबर से होकर 15 नवंबर 2024, शुक्रवार  तक चलेगा। कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक के इस व्रत को 'भीष्म पंचक व्रत' कहते हैं तथा इस व्रत को करने वाले को सभी प्रकार के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
 
Highlights 
  • भीष्म पंचक व्रत में क्या करना चाहिए?
  • भीष्म पंचक व्रत क्या है?
  • क्यों किया जाता है भीष्म पंचक व्रत।
आइए जानते हैं यहां भीष्म पंचक व्रत पर पूजन कैसे करें, पढ़ें आसान विधि-
भीष्म पंचक व्रत की पूजा विधि जानें :
 
• भीष्म पंचक व्रत के दिन से दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• फिर शुद्ध होकर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के निमित्त व्रत का संकल्प करें। 
• पूजा वाले स्थान पर गोबर से लीप लें और उस पर सर्वतोभद्र की वेदी बनाकर कलश स्थापित करें।
• 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें। 
• फिर मंत्र- 'ॐ विष्णवे नमः' बोलकर स्वाहा मंत्र से घी, तिल और जौ की 108 आहुतियां देकर हवन करें। 
• पूजन के समय शुद्ध देसी घी लेकर एक बड़ा दीया जलाएं, जिसमें लंबी बाती लगाएं ताकि यह दीपक खंडित ना हो और निरंतर 5 दिन जलता रहे। 
• पांच दिनों के इस भीष्म पंचक व्रत में दीया 5 दिनों तक लगातार जलता रहना चाहिए, अत: इस बात का पूर्ण ध्यान रखें और समय-समय पर उसमें घी डालते रहें।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार भीष्म पंचक व्रत का महत्व जानें : धार्मिक शास्त्रों के अनुसार महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक भीष्म पितामह थे और उन्होंने पांडव पुत्र युधिष्ठिर के कहने पर देव प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी से लेकर पांचवें दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा इन 5 दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था।

अत: इसी स्मृति में भगवान श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर भीष्म पितामह के नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित किया था। इसलिए इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। इस व्रत के संबंध में प्रचलित मान्यता के अनुसार कार्तिक स्नान करने वाली महिला या पुरुष बिना आहार किए यह व्रत पूरे विधि-विधान से करते हैं। वैसे तो सनातन धर्म में पंचक के 5 दिन बेहद अशुभ माने गए हैं, लेकिन कार्तिक महीने में आने वाले भीष्म पंचक को शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जो लोग इस व्रत को करते हैं, वे जीवनपर्यंत कई तरह के सुखों को भोग कर मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इस व्रत को करने वालों को धन-धान्य, पुत्र-पौत्र आदि की प्राप्ति होकर वे समस्त प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त करते हैं। 

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