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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 17 मार्च 2025 (10:12 IST)

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए महत्व, विधि और पूजा का शुभ मुहू्र्त

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए महत्व, विधि और पूजा का शुभ मुहू्र्त - Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025,
Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के कष्टों और दुखों का निवारण होता है। आइए यहां जानते हैं कब मनाई जा रही हैं यह चतुर्थी, पूजन का शुभ समय, महत्व, पूजा विधि, क्या करें और क्या न करें...ALSO READ: पापमोचनी एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व?
 
संकष्टी चतुर्थी 2025 में कब है : हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार संकष्टी चतुर्थी हर महीने मनाई जाती है, अत: 2025 में चतुर्थी व्रत 17 मार्च, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। इस बार चैत्र कृष्ण चतुर्थी के दिन पड़ रहे इस व्रत को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 
 
मार्च 17, 2025, सोमवार : भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर पूजन के शुभ मुहूर्त 
 
चतुर्थी पूजन का शुभ समय : 
17 मार्च को रात 09 बजकर 18 मिनट पर। 
 
चैत्र कृष्ण चतुर्थी का प्रारम्भ- मार्च 17 को सायं 07 बजकर 33 मिनट से, 
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी का समापन- मार्च 18 को रात्रि 10 बजकर 09 मिनट पर। 
 
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व : धार्मिक मान्यतानुसार इस व्रत को करने से सभी प्रकार के कष्टों और दुखों का निवारण होता है तथा बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी फलदायी माना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
 
संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
- भगवान गणेश को पीले फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
- संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- दिन भर उपवास रखें और शाम को भगवान गणेश की आरती करने के बाद फलाहार करें।
- अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
 
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन क्या करें:
- भगवान गणेश के मंदिर में जाएं।
- भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
- गणेश चालीसा का पाठ करें।
 
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन क्या न करें:
- किसी भी जीव को नुकसान न पहुंचाएं।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।
- झूठ न बोलें और किसी को धोखा न दें।
- क्रोध न करें और शांत रहें।
 
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है तथा घर में सुख-शांति के साथ ही घर खुशियों से भरापूरा रहता है।
 
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