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आज अन्नपूर्णा जयंती : कौन हैं मां अन्नपूर्णा, क्या है कहानी, पूजा विधि और शुभ मंत्र

आज अन्नपूर्णा जयंती : कौन हैं मां अन्नपूर्णा, क्या है कहानी, पूजा विधि और शुभ मंत्र - Annapurna Jayanti 2022
Annapurna Jayanti
 
आज मां अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti) मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सभी साधक देवी मां अन्नपूर्णा की आराधना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना गया है। अत: जो भक्त इस दिन पूरे मन से मां की उपासना और उपवास करते हैं, उनके घर में हमेशा धन-धान्य की समृद्धि, खाने-पीने के भंडार भरे रहते हैं और घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती। 
 
मां अन्नपूर्णा की कहानी-
 
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय में किसी कारणवश धरती बंजर हो गई, जिस वजह से धान्य-अन्न उत्पन्न नहीं हो सका, भूमि पर खाने-पीने का सामान खत्म होने लगा जिससे पृथ्वीवासियों की चिंता बढ़ गई।

परेशान होकर वे लोग ब्रह्माजी और श्रीहरि विष्णु की शरण में गए और उनके पास पहुंचकर उनसे इस समस्या का हल निकालने की प्रार्थना की। इस पर ब्रह्मा और श्री‍हरि विष्णु जी ने पृथ्वीवासियों की चिंता को जाकर भगवान शिव को बताया। पूरी बात सुनने के बाद भगवान शिव ने पृथ्वीलोक पर जाकर गहराई से निरीक्षण किया।
 
इसके बाद पृथ्वीवासियों की चिंता दूर करने के लिए भगवान शिव ने एक भिखारी का रूप धारण किया और माता पार्वती ने माता अन्नपूर्णा का रूप धारण किया। माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांग कर भगवान शिव ने धरती पर रहने वाले सभी लोगों में ये अन्न बांट दिया। इससे धरतीवासियों की अन्न की समस्या का अंत हो गया, तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाने लगी।
 
पूजन विधि-
 
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम रसोई घर की साफ-सफाई करें। 
 
- अब गंगाजल छिड़क कर पूरे घर को पवित्र करें। 
 
- अपने घर के किचन में दान करतीं हुए मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की फोटो रखें या लगाएं। 
 
- उसके बाद यदि आप गैस पर खाना पकाते हैं, उसकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और माता अन्नपूर्णा की प्रार्थना करें।
 
- इसके साथ ही भोलेनाथ जी तथा अन्नपूर्णास्वरूप देवी पार्वती की आराधना करें 
 
- ज्यादा से ज्यादा माता के मंत्रों का जाप करें। 
 
- अन्नपूर्णा माता का स्तोत्र, आरती तथा कथा अवश्य पढ़ें। 
 
- पूरे मन से मां अन्नपूर्णा से विनती करें कि घर में कभी भी धन, अन्न और खाने-पीने की कमी न रहे।
 
- आज के दिन क्रोध न करें और झूठ न बोलें।
 
- इस दिन मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए।
 
कैसे जपें मंत्र- 
- नित्य 1 माला जपें।
- इन मंत्रों को बतौर अनुष्ठान 10 हजार, 1.25 लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराएं।
- हवन सामग्री में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्वपत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची आदि लें।
- समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो, उनसे हवन पूर्ण करके आप सुखदायी जीवन का लाभ उठा सकते हैं।
 
मां अन्नपूर्णा के शुभ मंत्र- 
 
- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:।।'
- 'ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।'
- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।'

मां अन्नपूर्णा स्तोत्र-  
 
ध्यानम्‌
 
सिन्दूरा-ऽरुण-विग्रहां त्रिनयनां माणिक्य-मौलिस्फुरत्‌
तारानायक-शेखरां स्मितमुखीमापीन-वक्षोरुहाम्‌।
पाणिभ्यामलिपूर्ण-रत्नचषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं
सौम्यां रत्नघटस्थ-रक्तचरणां ध्यायेत्‌ परामम्बिकाम्‌॥
 
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौंदर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिल-घोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।
प्रालेयाचल-वंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥1॥
 
 
नानारत्न-विचित्र-भूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहार-विलम्बमान विलसद्वक्षोज-कुम्भान्तरी।
काश्मीरा-ऽगुरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी।
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥2॥
 
योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्माऽर्थनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानल-भासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।
सर्वैश्वर्य-समस्त वांछितकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥3॥
 
 
कैलासाचल-कन्दरालयकरी गौरी उमा शंकरी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओंकारबीजाक्षरी।
मोक्षद्वार-कपाट-पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥4॥
 
दृश्याऽदृश्य-प्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपांकुरी।
श्री विश्वेशमन प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥5॥
 
 
उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी
वेणीनील-समान-कुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।
सर्वानन्दकरी दृशां शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥6॥

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