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Written By WD

ओलिम्पिक में स्वर्ण, रजत, कांस्य की शुरुआत

London Olympics 2012, London Olympics News Hindi | Olympic Updates in Hindi | ओलिम्पिक में स्वर्ण, रजत, कांस्य की शुरुआत
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दुनियाभर में जितने भी खिलाड़ी हैं, उनमें से हरेक का ख्वाब होता है ओलिम्पिक खेलों में भाग लेना और स्वर्णिम सफलता अर्जित करना लेकिन बहुत कम खुशनसीब होते हैं, जिनका यह ख्वाब साकार होता है। दरसअल ओलिम्पिक के पदक जीतने के लिए तपस्या करनी होती है, जीतोड़ मेहनत के बूते पर ही खिलाड़ी विजयी मंच पर पहुँचकर अपना गला पदक से सजा पाता है।

क्या आप जानना चाहेंगे कि ओलिम्पिक खेलों में पदक वितरण की व्यवस्था की शुरुआत कब से और किस ओलिम्पिक से हुई? 1904 के सेंट लुईस ओलिम्पिक यानी आधुनिक ओलिम्पिक के तीसरे संस्करण से स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक देना प्रारंभ हुए। 1904 से प्रारंभ हुई यह व्यवस्था अब तक बरकरार है। ओलिम्पिक खेलों के दिलचस्प तथ्य भी प्रस्तुत है-

* हर खेल की समाप्ति पर पदक वितरण समारोह का आयोजन 1932 के ओलिम्पिक खेलों से ही शुरू हुआ, जो आज तक बदस्तूर जारी है।

* विजेताओं को तीन विभिन्न ऊँचाइयों के चबूतरों पर खड़ा किया जाने लगा और उनके देश का ध्वज फहराने के साथ राष्ट्रगीत भी बजाया जाने लगा।

* सवाना जनजाति के लेन ताउ और जॅन मशियानी विश्व मेले में शामिल थे। इन दोनों ने मैराथन दौड़ में भाग लिया और ओलिम्पिक में भाग लेने वाले पहले अफ्रीकी कहलाए।

* अमेरिकी फ्रेंक कुंगलर कुश्ती में रजत, रस्साकशी में कांस्य और भारोत्तोलन में दो कांस्य पदक जीतकर ऐसे अकेले एथलीट बने थे, जिन्होंने एक ही ओलिम्पिक में तीन अलग-अलग खेलों में पदक जीते।

पहली बार हॉकी को जगह मिली : लंदन में 1908 में आयोजित चौथे ओलिम्पिक खलों में गोताखोरी और मैदानी हॉकी को शामिल किया गया।

* एथलेटिक्स में रिले दौड़ को शामिल किया गया। इसका नाम रखा गया- ओलिम्पिक रिले।

* पियरी द कुबिर्तिन ने पेनसिलवेनिया के बिशप की बात दोहराराई और उनके शब्दों को अमर कर दिया- 'ओलिम्पिक खेलों में जीतना नहीं, बल्कि उनमें भाग लेना महत्वपूर्ण है।'

पहली बार रेडियो पर प्रसारण : आधुनिक युग में सूचना के ढेरों तंत्र आ गए हैं लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि ओलिम्पिक खेलों का पहली बार रेडियो प्रसारण 1924 में पेरिस में आयोजित ओलिम्पिक के सातवें संस्करण से शुरु हुआ था।

पेरिस में 1924 में आयोजित हुए सातवें ओलिम्पिक खेलों में महिला तलवारबाजी भी शामिल की गई। डेनमार्क की एलन ओसीयर ने एक भी दाँव हारे बिना स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया।

* 1924 के इस ओलिम्पिक में सभी खिलाड़ियों के लिए ओलिम्पिक गाँव में लकड़ी के छोटे-छोटे केबिन बनाए गए थे और यहीं पर खिलाड़ियों को ठहराया गया था।

* 10,000 दर्शकों की क्षमता वाला तरणताल बनाया गया। इसमें कॉर्क की सहायता से पंक्तियाँ बनाई गई थीं।

सभी एथलीट ओलिम्पिक गाँव में रहे : 1932 में लॉस एंजिल्स में आयोजित नवें ओलिम्पिक खेलों में सभी पुरुष एथलीटों को ओलिम्पिक गाँव में रखा गया, लेकिन महिला एथलीटों ने शानदार और आरामदायक होटलों में रहने का आनंद उठाया।

* इस बार ट्रैक खेलों के लिए इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों और सभी खेलों के लिए फोटो-फिनिश कैमरों को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई।

पहली बार मशाल रिले दौड़ : बर्लिन में 1936 में सम्पन्न दसवें ओलिम्पिक खेलों में पहली बार इन खेलों में ओलिम्पिक मशाल रिले दौड़ हुई। एक प्रज्वलित मशाल ओलिंपिया से सात देशों- ग्रीस, बुल्गारिया, युगोस्लाविया, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया और जर्मनी होते हुए 3000 कि.मी. यात्रा पूरी करके खेल स्थल पर लाई गई।

* इन खेलों में पुरुषों के लिए हैंडबॉल, केनोइंग और बास्केटबॉल प्रतियोगिताएँ शुरू हुईं। संयुक्त राज्य ने बास्केटबॉल का स्वर्ण पदक जीता और उनकी जीत का सिलसिला सन्‌ 1972 में म्यूनिख में ही जाकर रुका।

पहली बार टीवी पर प्रसारण : लंदन में आयोजित हुए 1948 के ओलिम्पिक खेलों को पहली बार घरेलू टेलीविजन पर दिखाया गया। हालाँकि ग्रेट ब्रिटेन के बहुत कम लोगों के घरों में टीवी सेट थे।