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भारत से विदेश यात्रा करने में बढ़ी मुश्किलें...

भारत से विदेश यात्रा करने में बढ़ी मुश्किलें... - US ban on carry-on e-gadgets will increase Indian travellers' problems
यूएस तक की यात्रा करने वाले हर दो भारतीय यात्रियों में से एक को मिडिल ईस्ट जैसे दुबई, अबुधाबी, दोहा जैसे एयरपोर्ट से गुजरना पड़ता है। आने वाले शनिवार से इन यात्रियों को एयरपोर्ट पर अपने सभी बड़े इलेक्ट्रानिक डिवाइस जैसे लैपटॉप, टैबलेट, ई-रिडर्स, कैमरा, इलेक्ट्रानिक गेम्स, डीवीडी प्लेयर्स की जांच करानी होगी। इस जांच के घेरे में स्मार्टफोन नहीं है। 
 
इतनी चेकिंग के दौरान एयरपोर्ट लांजेस पर उनके डिवाइस खो जाने का खतरा भी यात्रियों के लिए बना रहेगा। यूएस के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने सेलफोन से बड़े सभी इलेक्ट्रानिक डिवाइस का कैरी ऑन बैग्स, जिन्हें बिना चैकिंग के यात्रा की जा सकती है, में होने पर बैन लगा दिया है। ऐसे यात्री जो अम्मान (जॉर्डन), कायरो (मिस्त्र), इस्तांबुल (टर्की) जेद्दाह और रियाद (सऊदी अरब), कुवैत, दोहा (कतर), दुबई और अबु धाबी से यात्रा करेंगे, उन पर यह नया नियम लगाया जाएगा। 
 
यूएस के द्वारा एयरलांइस को बैन के विषय में बता दिया गया है और 96 घंटों के भीतर इसकी प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दे दिए गए हैं। ऐसे में सभी यात्री जो ऊपर दिए गए किसी भी एयरपोर्ट से यात्रा करेंगे, उन्हें अपने बडे इलेक्ट्रानिक सामान को अपने चैक-इन बैग में रखना होगा।  
 
इस तरह वह यात्री जो मुंबई-दुबई-डलास की फ्लाइट के माध्यम से यूएस पहुंच रहा है, उसे मुंबई में भी अपने लैपटॉप की जांच करानी होगी। एयर इंडिया से यात्रा कर रहे यात्रियों पर यह नियम लागू नहीं होगा। परंतु जेट एयरवेज़ के यात्रियों की जांच होगी अगर उनकी फ्लाइट ऊपर दिए गए एयरपोर्ट से होकर गुज़रेगी। 
 
इन देशों के अलावा, भारत के ऐसे यात्री जो इन जगहों से यात्रा करते हैं इस नियम की ज़द में हैं और बुरी तरह से प्रभावित होंगे क्योंकि यूएस के काफी फ्लाइट इन जगहों से होकर गुज़रती हैं। एशिया पैसिफिक एविएशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में, भारत से कुल 2.69 मिलियन यात्री यूएस पहुंचे। इनमें से 1.3 मिलियन यात्री एमिरेट्स, इत्तिहाद, कतर की एयरलाइंस में यात्रा कर यूएस पहुंचे थे जो दुबई, अबुधाबी और दोहा होकर निकलती हैं। 
 
ट्रेवल एजेंट्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यूएस और यूके द्वारा बढ़ाए गए ये नियम यात्रियों को डरा रहे हैं। यात्रियों को लगता है कि अगर इंटेलीजेंस सर्विस को लगता है कि आतंकी किसी प्लेन, जो खाड़ी के देशों से शुरू हुए हैं, को बम से उड़ा सकते हैं तो उन्हें इन जगहों से जाना ही नहीं चाहिए। 
 
 
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