साइप्रस में भारतीयों की तादाद
बन रहा है रोजगार का नया केंद्र
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विनोद अग्निहोत्री साइप्रस में गरीबों के पास सिर्फ एक कार व एक फ्लैट है और अमीर वह है जो अरबपति है, लेकिन इन दोनों ही वर्गों की तादाद बेहद कम है। वहाँ सबसे ज्यादा तादाद है उस मध्य वर्ग की जो पिछले कुछ वर्षों में बेहद संपन्न हुआ है। इसलिए अब मेहनत-मजदूरी के कामों के लिए भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश के कामगारों के लिए साइप्रस रोजगार की नई मंजिल बन रहा है। इनमें भारतीयों की खासी तादाद है।निकोसिया स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी कहते हैं कि भारतीयों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। कुल आठ लाख की आबादी वाले साइप्रस में पिछले कुछ वर्षों में संपन्नता तेजी से बढ़ी है। तेजी से बढ़ते इस मध्य वर्ग के नौजवान अब अपने देश के होटलों, रेस्त्राँओं, लांड्रीज, दुकानों आदि में वेटर और हेल्पर के काम करने को तैयार नहीं हैं। होटलों व रेस्त्राँओं के वेटर, दुकानों के हेल्पर, बसों और ट्रकों को चलाने वाले ड्राइवर, सड़क बनाने वाले मजदूर, मोटर मैकेनिक, बिजली तकनीशियन, फिटर, वेल्डर जैसे कामों के लिए तेजी से भारतीय, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, नेपाली युवक आ रहे हैं। बाजारों में ऐसे नौजवानों से अक्सर मुलाकात हो जाती है जो पिछले एक- दो साल से यहाँ काम कर रहे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बांग्लादेशी महिलाएँ भी यहाँ संपन्न मध्यवर्गीय परिवारों में घरों में सहायक के रूप में काम करती हैं।