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Written By WD

कैसे मैं पंछी बन जाऊँ

कैसे मैं पंछी बन जाऊँ -
- हरिबाबू बिंदल
GNGN
हास्य कवि के तौर पहचाने जाने वाले ‍हरिबाबू विश्वविवेक और विश्वा जैसी अमेरिकी पत्रिकाओं में निरंतर तथा कादम्बिनी व अन्य भारतीय पत्रिकाओं में कविताएँ एवं कहानियों का प्रकाशन। इन दिनों अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग में वरिष्ठ इंजीनियर पद पर कार्यरत।

कैसे मैं पंछी बन जाऊँ
उड़कर तुमसे मिलने आऊँ
तुमने प्यार दिया है उसको
कैसे मैं चुकता कर पाऊँ
कैसे मैं पंछी बन जाऊँ।

जोड़ा क्यों अनबूझ ये रिश्ता
कैसे मैं बन जाऊँ फरिश्ता
तुमसे बार-बार मिलने को
कैसे यह जीवन दुहराऊँ
कैसे मैं पंछी बन जाऊँ।

तुम हो जैसे श्वेत‍ कबूतर
चंचल चतुर मुक्त औ आतुर
मैं बंधन में बँधा परिंदा
कैसे तुम जैसा बन जाऊँ
कैसे मैं पंछी बन जाऊँ।

चलो, भूल जाऊँ मैं तुमको
याद करो ना जो तुम मुझको
मन से निकली उन लहरों को
कैसे मैं वापस कर पाऊँ
कैसे मैं पंछी बन जाऊँ।

साभार- गर्भनाल