गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. आपकी कलम
  4. Vasanti Poem

प्रवासी कविता हिन्दी में : बसंत बहार आने को है

प्रवासी कविता हिन्दी में : बसंत बहार आने को है। Vasanti Poem - Vasanti Poem
घास की सख्ती जाती सिमटती
आई नमी अब वातावरण में
नन्ही ओंस की बूंदें धूप में
चांदनी-सी चमके-दमके।
 
उनके भीतर झांकूं करीब से
हरी कोमल कोंपल छिपी बैठीं
ठंड की धीमी विदाई संग 
माघ की बावली नर्म धूप हुई आतुर।
 
हल्की-सी ठिठुरन यहां
हल्का-सा सुकून वहां
शिशिर अब बिछड़ा फिजाओं से
बादल लुप्त, नील शुद्धता हुई दृष्टिगोचर।
 
गहराइयों से नभ की चले पक्षी झुंड
प्रकृति के किसी कोने में दुबकी लजाती
नवेली-मुस्कराती इठलाती बसंत
स्वागत की प्रतीक्षा में क्षण-क्षण व्याकुल।
 
आओ बसंत बहार का स्वागत कर लें
खिल उठेंगे हजारों गुलाब बगिया में
हरियाली छाएगी चारों दिशाओं में
रंग-बिरंगी तितलियां मंडराएंगी सब ओर।
 
चमकेगा सूरज प्रकृति की बांहों में बांहें डाल
सजेगा वसुंधरा का आंगन बसंत के आगमन से
कैसे रहेगा फिर कोई मन उदास
आओ बसंत बहार आने को है!