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शिशिर ऋतु पर लिखी गई सबसे उम्दा कविता

शरद ऋतु पर लिखी गई सबसे उम्दा कविता। shishir ritu poem - shishir ritu
-हरनारायण शुक्ला 
 
स्वच्छ नीला आकाश, चिलचिलाती धूप,
देखता ही रह गया, शिशिर का यह रूप।
 
मन मचला कि क्यूं ना, बाहर घूम आऊं,
तापमान ऋण तीस, जाऊं तो कैसे जाऊं?
 
धवल चादर है बिछी, अवनि पर चहुंओर,
निष्ठुर हिमानी हवा ने, मचा रखा है शोर।
 
ठूंठ वृक्ष जीवन हेतु, तपस्या में तल्लीन,
जैसे भभूत लेपित साधु, ध्यान में हों लीन।
 
नदी-सरोवर जमकर, स्फटिक शिला बन गए,
अहिल्या जैसी स्थिति, पानी से पत्थर बन गए।
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