लोकसभा चुनावों में उत्तराखंड से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद सतपाल महाराज के ऋषिकेश स्थित प्रेमनगर आश्रम को हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने सीज करने के आदेश दे दिए हैं। यह आदेशहरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने दिए हैं। इस आश्रम को गंगा के किनारे 200 मीटर दायरे के भीतर अवस्थित होने के कारण सीज किया जाना बताया जा रहा है।
सतपाल महाराज भले भाजपा में चले गए लेकिन उनकी पत्नी कांग्रेस में ही हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में वे कैबिनेट मंत्री थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में ऐन पहले सतपाल महाराज के पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में जाने के बाद उनकी पत्नी को भी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था। अब हाईकोर्ट द्वारा गंगा किनारे 200 मीटर की परिधि के अंतर्गत किसी भी निर्माण को रोकने संबंधी निर्देशों के मद्देनजर सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम को सीज कर दिया गया है।
यह कार्यवाही नरेन्द्रनगर एवं ऋषिकेश के एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर गई बताई जा रही है। पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सतपाल महाराज की कांग्रेस में कमी दूर करने को उनके छोटे भाई भोले जी महाराज के जन्मदिन पर उनके द्वारा आयोजित समारोह में शिरकत कर एक संकेत दिया था कि अब कांग्रेस उनके भाई भोले जी महाराज को उनकी जगह ला सकती है।
उल्लेखनीय है कि सतपाल महाराज एवं भोलेजी महाराज के बीच संबंध ठीक नहीं हैं, इस कारण कांग्रेस सतपाल महाराज की कमी को उनके भाई के जरिए पूरी कर उन्हें एक कड़ा संदेश देना चाहती है। शुक्रवार को हुई आश्रम के सीज करने की कार्यवाही ने संकेत दिया है कि आगामी दिनों में सतपाल महाराज को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
उधर भाजपा में भी सतपाल महाराज अपना स्थान नहीं बना पा रहे हैं। प्रदेश के भाजपा के बड़े नेता सतपाल महाराज को सहन करते नहीं दिखते। इस वक्त राजनीति में अलग- थलग पड़े सतपाल महाराज अब देख दिनों फेर के मुहावरे को ही चरितार्थ करने को मजबूर हैं। उनकी मंत्री रह चुकी पत्नी भी कांग्रेस के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से दूर ही रहती हैं।
हालांकि वे अब भी कांग्रेस की विधायक हैं। अपनी उपेक्षा से आहत अमृता रावत मुखयमंत्री के स्वास्थ्य खराब होने पर उनसे मिलने एम्स भी नहीं गई थीं, लेकिन इसके बावजूद उनकी कांग्रेस पार्टी मेंपुरानी धमक वापसी के कोई आसार नहीं है। पार्टी छोड़ने के बाद सतपाल महाराज एवं उनकी विधायक पत्नी के दिन बहुरने का इंतजार है।