विस चुनाव की हार पर क्या बोले दिग्विजय...
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम राहुल गांधी के खिलाफ जनमत-संग्रह नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा से कांग्रेस को फायदा मिलेगा, जो इस बार बुरी तरह पराजित हुई है।अरविंद केजरीवाल के घोर निंदक माने जाने वाले कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन लोकतांत्रिक भारत की चुनावी राजनीति के लिए अच्छा है। उन्होंने कबूल किया कि यह लोकतंत्र में लोगों की आस्था को मजबूत करता है, जो तेजी से खो रही थी। एक इंटरव्यू में दिग्विजय ने इन धारणाओं को पुरजोर तरीके से खारिज करने का प्रयास किया कि दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ एक तरह का जनमत-संग्रह है।कांग्रेस महासचिव ने कहा कि नहीं, कोई जनमत-संग्रह नहीं है क्योंकि राहुल गांधी न तो चुनावों में नेतृत्व कर रहे थे और न ही चुनाव लड़ रहे थे। राहुल गांधी का कैनवास दिल्ली राज्य तक नहीं है, उनका कैनवास संपूर्ण भारत है। आपका उठाया बिंदु प्रासंगिक नहीं लगता। उन्होंने कहा कि ये चुनाव राज्य के मुद्दों पर लड़े गए न कि राष्ट्रीय मुद्दों पर। मध्यप्रदेश में 2003 में भाजपा की सत्ता में वापसी से पहले लगातार दो कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे दिग्विजयसिंह को लगता है कि इस बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को बहुत पहले पेश करने से नतीजे अलग हो सकते थे। हालांकि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया की इस बात से सहमति जताई कि पार्टी में बड़े पुनर्निर्माण की जरूरत है।
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर क्या राय है दिग्गी की... पढ़ें अगले पेज पर...
यूं तो दिग्विजय भी अपनी पार्टी के अन्य कुछ नेताओं की तरह कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करना कांग्रेस पार्टी की परंपरा नहीं है, लेकिन अब उनका कहना है कि इस तरह के कदम से कांग्रेस को फायदा होगा।हालांकि जाहिर तौर पर दिग्विजय का यह रुख चुनाव परिणाम वाले दिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस बयान का असर हो सकता है कि कांग्रेस उचित समय पर प्रधानमंत्री पद के अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगी। सोनिया के इस बयान से माना गया कि कांग्रेस राहुल गांधी के नाम की घोषणा करने के लिए तैयार है।भाजपा ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 3-0 से शिकस्त दी है और मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार को बरकरार रखते हुए राजस्थान कांग्रेस के कब्जे से छीन लिया है। दिल्ली में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जहां आप ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया है।जब दिग्विजय से पूछा गया कि क्या यह चुनाव से पहले प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं करने के कांग्रेस के रुख में बदलाव नहीं है, तो उन्होंने कहा कि हमने 2009 (लोकसभा चुनाव) में इसकी घोषणा की थी। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का घोषणापत्र को जारी करते समय प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को कांग्रेस का चेहरा बनाया गया था।हालांकि इस प्रश्न का दिग्विजय ने सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या इस बार भी कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा समय से पहले कर दी जाएगी और क्या वह राहुल गांधी होंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष ने बयान दिया है। अब उन्हें इस बारे में फैसला करना है। हालांकि दिग्विजय को लगता है कि इस तरह के कदम से कांग्रेस को मदद मिलेगी। और भी बहुत कुछ बोले हैं दिग्विजय... पढ़ें अगले पेज पर....
कांग्रेस महासचिव से जब पूछा गया कि क्या चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करने से पार्टी को फायदा होगा और नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी तो उन्होंने कहा कि उम्मीद तो है। क्योंकि यदि कांग्रेस अध्यक्ष ने कुछ कहा है तो उन्होंने पूरे सोच-विचार के बाद कहा होगा। सिंह ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों से अलग होते हैं और इन चुनावों में कांग्रेस को हुए नुकसान को 2014 के लोकसभा चुनावों में उसकी हार का संकेत नहीं कहा जा सकता।उन्होंने कहा कि अगर आप 2003 के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो कांग्रेस चार में से तीन प्रदेशों में हार गई थी, लेकिन फिर भी 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसलिए राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में मुद्दे अलग होते हैं। देश में किसी तरह की कांग्रेस विरोधी लहर होने के प्रश्न पर दिग्विजय ने कहा कि इस बारे में अध्ययन की जरूरत है। मैं इस समय वाकई कुछ नहीं कह सकता। हालांकि उन्होंने इस धारणा का विरोध किया कि राज्यों के नतीजों में नरेंद्र मोदी का असर दिखाई दिया।कांग्रेस नेता ने कहा कि इन राज्यों में भाजपा का प्रचार अभियान व्यक्ति केन्द्रित था, पार्टी केंद्रित नहीं था। छत्तीसगढ़ में यह रमनसिंह पर केंद्रित था, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान केंद्रित था और राजस्थान में वसुंधरा राजे केंद्रित था। आप उन्हें श्रेय क्यों नहीं देते। श्रेय उन्हें दिया जाना चाहिए।