राजनीतिक फायदे के लिए नेताओं ने बदला पाला...
लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए कहीं न कहीं दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार भी भाजपा का दामन थाम रहे हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जिस पर भरोसा किया जा सकता है।प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह आज कितने लाचार नज़र आ रहे हैं कि उनका सौतेला भाई (दलजीत सिंह) कांग्रेस छोड़कर उसकी धुर विरोधी भाजपा से जुड़ गया है।16
वीं लोकसभा के गठन में अभी कुछ ही दिन बाकी हैं और देशभर में होने वाले 9 चरणों के मतदान के 6 चरण पूरे हो चुके हैं। इन 6 चरणों में राजनीतिक गलियारों में काफी उठापटक देखने को मिली। भाजपा छोड़कर अन्य पार्टियों की दहलीज पर जाने वालों की संख्या तो ना के बराबर रही, लेकिन दूसरी पार्टियों से भाजपा में आने वालों की तादात में काफी इज़ाफा हुआ है।इस बार के लोकसभा चुनाव में कई दिलचस्प बातों के अलावा विवाद भी देखने को मिले। मसलन, अचानक कांग्रेस के कद्दावर कहे जाने वाले नेता एम.जे. अकबर, सतपाल महाराज, जगदंबिका पाल आदि को अपना भविष्य भाजपा में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें अपनाया भी।इसके उलट, ऐसी स्थिति भी रही कि भाजपा में बाहरी उम्मीदवारों को शामिल करने पर विवाद हुए। इनमें एक विवाद श्रीराम सेना से आए प्रमोद मुतालिक और दूसरा जेडीयू से आए साबिर अली को लेकर रहा। अंतत: पार्टी सदस्यों की नाराजगी व दीगर कारणों के चलते इन उम्मीदवारों को भाजपा के थिंक टैंक ने नकार दिया। श्रीराम सेना से भाजपा में शामिल होने की खबर की वजह से प्रमोद मुतालिक कुछ घंटों तक मीडिया की सुर्खियों में रहे लेकिन रात गहराते गहराते यह भी खबर आ गई कि मुतालिक को भाजपा में शामिल नहीं किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल साबिर अली का भी रहा, जो जेडीयू से भाजपा में आए लेकिन विरोध के स्वर मुखर होते ही भाजपा ने उनसे किनारा कर लिया।वो नेता जो इधर से उधर हुएदलजीत सिंह (कांग्रेस से भाजपा में)सतपाल महाराज (कांग्रेस से भाजपा में)जसा बराड़ (कांग्रेस से भाजपा में)डी.पुरंदेश्वरी (कांग्रेस से भाजपा में)जगदंबिका पाल (कांग्रेस से भाजपा में)बावकू उंधड़ (कांग्रेस से भाजपा में)राजेंद्रसिंह चावड़ा (कांग्रेस से भाजपा में)एम.जे. अकबर (कांग्रेस से भाजपा में)कर्नल सोनाराम (कांग्रेस से भाजपा में)डॉ. भागीरथ प्रसाद (कांग्रेस से भाजपा में)रामकृपाल यादव (राजद से भाजपा)(
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