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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 23 अप्रैल 2014 (15:20 IST)

पांच सालों में चुनाव खर्च 1.5 लाख करोड़ के पार

पांच सालों में चुनाव खर्च 1.5 लाख करोड़ के पार -
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों के 6ठे चरण के करीब पहुंचने के बीच एक नई अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि पिछले 5 सालों में देश में हुए विभिन्न चुनावों में कुल राशि डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ऊपर की राशि खर्च की गई और इसमें से आधे से अधिक धन ‘बेहिसाब स्रोतों’ से आया था।

सेंटर फॉर मीडिया (सीएमएस) द्वारा कराया गया यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है, जब विभिन्न राजनीतिक दल इस बार के लोकसभा चुनावों में एक-दूसरे पर कालेधन का इस्तेमाल करने आरोप लगा रहे हैं। 7 अप्रैल को शुरू यह चुनाव 12 मई तक चलेगा।

अभी तक 5 चरणों में 232 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं, जबकि बाकी 4 चरणों में 311 सीटों पर मतदान होने हैं। कई ऐसे मामले देखे गए हैं। इस दौरान निर्वाचन आयोग ने कालेधन के प्रयोग पर निगरानी तेज करते हुए देशभर में बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य प्रतिबंधित चीजें बरामद की हैं।

सीएमएस के अध्ययन के मुताबिक पिछले 5 सालों में भारत में विभिन्न चुनावों के दौरान 1,50,000 करोड़ रुपए से अधिक धन खर्च किया गया।

सीएमएस के चेयरमैन एन. भास्कर राव ने बताया कि यह एक मोटा अनुमान है। इस भारी-भरकम राशि में से आधे से अधिक राशि कालाधन है। चुनावों के लिए कालेधन का इस्तेमाल हमारे देश में सभी भ्रष्टाचार की जननी है।

सीएमएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि डेढ़ लाख करोड़ रुपए में से 20 प्रतिशत या 30,000 करोड़ रुपए चालू लोकसभा चुनावों में खर्च किए जाने का अनुमान है। इस कुल राशि का एक तिहाई या 45,000 से 50,000 करोड़ रुपए राज्यों के विधानसभा चुनावों में खर्च किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक करीब 30,000 करोड़ रुपए पंचायतों के चुनावों पर, 20,000 करोड़ रुपए मंडलों के लिए, 15,000 करोड़ रुपए नगर निगमों के लिए और 10,000 करोड़ रुपए जिला परिषदों के लिए खर्च किए गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों में मीडिया प्रचार अभियान (25 प्रतिशत) और सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा चुनाव पूर्व खर्च (20 से 25 प्रतिशत) का इसमें अहम हिस्सा है।

अध्ययन के मुताबिक कि छोटे चुनावों में चीजें अलग होती हैं। मीडिया पर खर्च बहुत कम होता है और मंडलों व पंचायतों में रैलियों पर खर्च एक तरह से न के बराबर होता है।

उन्होंने दावा किया कि स्थानीय चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा खर्च 10 प्रतिशत से कम होता है, जबकि लोकसभा चुनाव में यह 20 प्रतिशत होता है। वहीं दूसरी ओर लोकसभा के मामले में उम्मीदवार द्वारा पार्टी टिकट हासिल करने के लिए बहुत अधिक धन खर्च किया जाता है। (भाषा)