• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. लोकसभा चुनाव 2014
  4. »
  5. समाचार
Written By WD

बनारस में चली नरेन्द्र मोदी की सुनामी

केजरीवाल ने ली टक्कर, पिछड़ गए अजय राय

बनारस में चली नरेन्द्र मोदी की सुनामी -
-अरविन्द शुक्ला, लखनऊ से
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में देश-विदेश के लोगों की नजर अगर रायबरेली, अमेठी और लखनऊ के बाद किसी लोस सीट पर है तो वह है वाराणसी लोस सीट। जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी यहां से चुनाव लड रहे है। सोमवार को सम्पन्न मतदान मे नरेन्द्र मोदी को कड़ी चुनौती दी हैं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने।
FILE

कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी के चुनाव न लड़ने और फिर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन किए जाने की घोषणा से यहां कांग्रेस को भारी नुकसान होने और उसके तीसरे पायदान पर खिसकने की खबर है। वाराणसी कोई इतिहास रचेगा ये तो 16 मई को ही पता चलेगा किन्तु अरविंद केजरीवाल ने अपना दमखम दिखा ही दिया कि मोदी को वे टक्कर दे सकते हैं।

वाराणसी में इस बार 55.22 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। मोदी को वोद देने के लिए लोगों में जबरर्दस्त उत्साह दिखा। वही कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान लगाकर पोलिंगस्टेशन पर आ गए जिस पर आखिरकार चुनाव आयोग को संज्ञान लेना पड़ा और उसने अजय राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

वाराणसी सीट इस चुनाव में शुरू से ही चर्चा में रही है। भाजपा के मौजूदा सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी के क्षेत्र छोड़कर कानपुर जाने में शुरू में आनाकानी करने और फिर नरेन्द्र मोदी के नामांकन की बार-बार तारीख बदलने और अंत में काफी भव्यता के साथ अंतिम दिन नामांकन दाखिल किया जाना भी काफी चर्चा में रहा तो कांग्रेस की ओर से कभी मधुसूदन मिस्त्री तो कभी दिग्विजयसिंह का नाम उछला, लेकिन अंत में निर्णय हुआ कि दबंग छवि वाले कई बार के विधायक स्थानीय नेता अजय राय कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। तभी बहुतों को लगा कि नरेन्द्र मोदी के मुकाबले कांग्रेस ने कमजोर प्रत्याशी उतारा है।

आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो बहुत पहले से घोषणा कर दी थी कि मोदी अगर उत्तरप्रदेश में कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो वे उनके खिलाफ लड़ेंगे और इसके लिए बाकायदा वाराणसी में सभा कर उन्होंने लोगों की सहमति भी ली थी। सपा की ओर से मंत्री कैलाश चौरसिया एवं बसपा से विजय प्रकाश जायसवाल भी मैदान में हैं, परंतु अगर यह कहा जाए कि वाराणसी में सीधा-सीधा मुकाबला मोदी और अरविंद केजरीवाल से ही हुआ है तो गलत नहीं होगा।

मोदी की सुनामी आएगी, कहने वाले भाजपाई भी समझ गए कि वाराणसी में एकतरफा मुकाबला है। 'मोदी लहर' को 'मोदी सुनामी' में बदलने में भाजपाइयों का यह नारा कारगर रहा कि 'हर हर मोदी', जिसका चारों ओर जबर्दस्त विरोध होने के बाद भाजपा ने अपने कदम पीछे खींचे और नया नारा दिया 'घर घर मोदी'। नरेन्द्र मोदी के गुजरात की वडोदरा लोस सीट से भी लड़ने से वाराणसी के मतदाता इस बात को लेकर भी चिंतित नजर आ रहे थे कि मोदी अगर दोनों जगह से जीते तो कौन सी सीट अपने पास रखेंगे, वडोदरा या वाराणसी? किन्तु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथसिंह ने चुनाव से ठीक पहले वाराणसी जाकर घोषणा कर दी कि दोनों सीट से चुनाव जीतने पर मोदी वाराणसी सीट अपने पास रखेगें, उनकी इस घोषणा ने वाराणसी में मोदी के पक्ष में जबर्दस्त माहौल बना दिया।

उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी बारह साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका 'टाइम' की 2014 की टॉप 100 प्रभावशाली शख्सियतों की सूची में शामिल नरेन्द्र मोदी को जबसे भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है तबसे विरोधी दलों ने उन पर 'हमले' तेज कर दिए हैं। गुजरात दंगों, इशरत जहां एनकाउंटर और महिला की कथित रूप से जासूसी कराए जाने आदि को लेकर लगातार उन्हें घेरा जा रहा था, किन्तु चुनाव आते-आते यह सारे प्रश्न हवा से गायब हो गए।

वाराणसी में 1991 में भाजपा ने जो विजय पताका लहराई तो 1996, 98 व 99 में सीट उसी के कब्जे में रही। 2204 में जरूर यहां से कांग्रेस के डॉ. राजेश मिश्र जीते परंतु 2009 में फिर यह सीट भाजपा के कब्जे में आ गई और उसके प्रत्याशी डॉ. मुरली मनोहर जोशी विजयी हुए, उन्हें मत मिले 2,03,122। पिछले लोस चुनाव में मुख्तार अंसारी बसपा से लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे, उन्हें मत मिले थे 1,85,911, यानी डॉ. मुरली मनोहर जोशी केवल 17,211 मतों से जीते। नरेंद्र मोदी कितने मतों से जीतेंगे इस पर भी सबकी नजर रहेगी।

कांग्रेस ने लगातार पांच बार से विधायक अजय राय को मैदान में उतारा है। अजय राय ने 1996 में भाकपा के दिग्गज नेता और नौ बार के विधायक रहे ऊदल को हराकर कोलअसला विस सीट छीनी थी। इसके बाद इसी विस सीट से वे भाजपा के टिकट पर तीन बार और चौथी बार निर्दलीय विधायक चुने गए। अजय राय पांचवीं बार कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा विस क्षेत्र से विजयी हुए और अब वाराणसी से कांग्रेस के टिकट पर लोस का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्व पिछला लोस चुनाव वे सपा के टिकट पर लड़े थे। पहली लोस 1952 से लेकर 62 तक कांग्रेस यहां लगातार जीती और फिर 1971, 1980,1984 व 2004 में उसके प्रत्याशी सांसद चुने गए। पिछले चुनाव 2009 में कांग्रेस को यहाँ 66,912 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय काफी दबंग छवि के माने जाते हैं। वे पूरी चुनौती के साथ चुनाव लड़े हैं। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी से वार्ता होने एवं चुनाव में पार्टी की ओर से पूरी मदद मिलने के आश्वासन के बाद ही वे मोदी के मुकाबले मैदान में उतरे।

अगले पन्ने पर... किसे मिला मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने का फायदा...


मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी द्वारा मुख्तार के न लड़ने की घोषणा किए जाने, कौमी एकता दल का आप को समर्थन दिए जाने की चर्चाओं एवं पार्टी की ओर से पूरा सहयोग न मिलने की अजय राय द्वारा सोनिया गांधी को चिट्‍ठी लिखी जाने के बाद ही कांग्रेस के बड़े नेता वाराणसी में सक्रिय हुए और गुलाम नबी आजाद व दिग्विजयसिंह से वार्ता के बाद अफजाल अंसारी ने कांग्रेस के समर्थन की घोषणा कर दी।

अजय राय के बड़े भाई की हत्या में मुख्तार अंसारी भी आरोपियों में शामिल हैं और दोनों के बीच काफी पुरानी दुश्मनी है परंतु अफजाल के शब्दों में देशहित में और सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए ये फैसला किया गया है। अजय राय भी आपसी दुश्मनी किनारे कर जाने अनजाने समर्थन का स्वागत करते रहे, जो उनके लिए उल्टा ही पड़ा। अपराधी से सर्मथन के नाम पर वे मोदी से मुख्य लड़ाई में ही न आ सके। भले ही राहुल गांधी के रोड शो को देखकर लगा कि वे मोदी से लड़ते नजर आ रहे हैं, किन्तु तब तक काफी देर हो चुकी थी, तब तक मुसलमानों ने अपना मन केजरीवाल को वोट देने के लिए बना लिया था।

आईआईटी से इंजीनियरिंग पास और आईआरएस अफसर रहे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा था कि वे मोदी के प्रधानमंत्री बनने की राह रोकेंगे। इस मकसद में वह भले ही सफल न रहे हों किन्तु उन्होंने दिखा दिया कि वे मोदी के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ेंगे। टाइम पत्रिका में अरविंद केजरीवाल भी 2014 की टॉप 100 प्रभावशाली शाख्सियतों में शामिल हैं। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता केजरीवाल को वाराणसी में काफी विरोध भी झेलना पड़ा और आप के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट भी की गई।

अरविंद केजरीवाल जिस मंदिर परिसर में ठहरे हुए थे विरोध के चलते वह भी उन्हें छोड़ना पड़ा था। अरविंद जब नामांकन करने गए तो उनके जुलूस में भी काफी भीड़ थी जिसे देखकर यह कहीं से नहीं कहा जा सकता कि था वे कमजोर प्रत्याशी हैं। जदयू ने आप का सर्मथन कर अरविंद की लड़ाई को और रोचक बना दिया। केजरीवाल की चुनाव रणनीति की आज लोग दाद दे रहे हैं।

सपा ने यहां से बेसिक शिक्षा एवं बाल विकास पुष्टाहार राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को उम्मीद्वार बनाया। चाय वाले मोदी के मुकाबले पान वाले चौरसिया का नारा देखर समाजवादी पार्टी ने उन्हें मोदी के मुकाबले में लाने के भरसक प्रयास किए किन्तु सब असफल रहे। चौरसिया मिर्जापुर के रहने वाले हैं और वहीं से तीन बार के विधायक चौरसिया लोस का चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं।

बनारस चुनाव लड़ने आए कैलाश चौरसिया ने मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कहा कि अगर नरेन्द्र मोदी में हिम्मत हो तो वे भी गुजरात के मुख्यमंत्री पद से पहले इस्तीफा देते फिर यहां से चुनाव लड़ते। समाजवादी पार्टी जब से बनी है वाराणसी में एक बार भी चुनाव नहीं जीत सकी है।

अजय राय ने पिछला लोस चुनाव सपा से लड़ा था तब सपा को यहां 1,23,874 मत मिले थे। बसपा ने विजय प्रकाश जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है। जायसवाल 2012 में अपना दल से विधानसभा का चुनाव लड़े थे। बाद में वे पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। जायसवाल पहली बार लोस का चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा को वाराणसी में 2009 में 1,85,911 मत मिले थे। इसके अलावा भाकपा से हीरालाल यादव, तृणमूल कांग्रेस से डॉ. इन्द्रा तिवारी व किन्नर वशीर उर्फ कमला के अलावा 35 अन्य निर्दलीय भी मैदान में हैं।

बनारस में मोदी की सुनामी चली है, लेकिन...


वाराणसी लोस के अन्तर्गत रोहनिया, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिणी, वाराणसी कैन्ट एवं सेवापुरी विस क्षेत्र आता है। यहाँ कुल 16,09,460 मतदाता हैं। हालांकि बनारस में मोदी की सुनामी चली है, लेकिन हकीकत 16 मई को ही सामने आ पाएगी।
वर्षविजेतापार्टी
1952बाबू रघुनाथसिंहकांग्रेस
1957 बाबू रघुनाथसिंहकांग्रेस
1962 बाबू रघुनाथसिंहकांग्रेस
1967 सत्य नारायणसिंहभाकपा
1971 राजाराम शास्त्री कांग्रेस
1977 चंद्रशेखर सिंहजनता पार्टी
1980पंडित कमलापति त्रिपाठीकांग्रेस
1984श्यामलाल यादवकांग्रेस
1989अनिल शास्त्रीजनता दल
1991 श्रीशचन्द्र दीक्षितभाजपा
1996 शंकर प्रसाद जायसवालभाजपा
1998शंकर प्रसाद जायसवालभाजपा
1999शंकर प्रसाद जायसवालभाजपा
2004डॉ. राजेश मिश्र कांग्रेसकांग्रेस
2009डॉ. मुरली मनोहर जोशीभाजपा