गुरुवार, 20 मार्च 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नवरात्रि
  4. kalighat shaktipeeth kolkata
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 20 मार्च 2025 (16:30 IST)

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का कालीघाट मंदिर, सोने से बनी है मां काली की जीभ

51 शक्तिपीठों में से एक है कोलकाता का कालीघाट मंदिर, सोने से बनी है मां काली की जीभ - kalighat shaktipeeth kolkata
kalighat shaktipeeth kolkata: चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में मां के कई प्राचीन मंदिर है। देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है।

इस आलेख में हम आपको माता सती के कालीघाट शक्तिपीठ के बारे में जानकारी दे रहे है जो कोलकाता, पश्‍चिम बंगाल में स्थित है। 
  
कालीघाट कोलकता कालिका शक्तिपीठ  :
मां काली को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। मां काली के चार रूप है- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। पश्चिम बंगाल कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं। इसे दक्षिणेश्वर काली मंदिर कहते हैं। यहां पर देवी काली की चांदी से बनी मूर्ति है। कालीघाट मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति की जीभ सोने की बनी हुई है।

रामकृष्ण परमहंस की आराध्या देवी मां कालिका का कोलकाता में विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। कुछ की मान्यता अनुसार कि इस स्थान पर सती देह की दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी। इसलिए यह सती के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। इस स्थान पर 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1855 पूरा हुआ। कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित इस पूरे क्षेत्र को कालीघाट कहते हैं।

मंदिर का समय  
कालीघाट मंदिर के द्वार भक्तों के लिए सुबह 5:00 बजे से रात 10:30 बजे तक खुले रहते हैं। वहीँ शनिवार और रविवार को मंदिर देर रात तक खुला रहता है और मंदिर के दरवाजे रात 11:30 बजे बंद होते हैं। इसी के साथ त्योहारों और विशेष दिनों के दौरान कालीघाट काली मंदिर के दर्शन का समय बदल दिया जाता है। दुर्गा अष्टमी के दिन यहां बहुत बड़े स्तर पर पूजा का आयोजन किया जाता है। सामान्य दिनों में पूजा, सुबह 5:30 से 7:00 बजे तक, भोग राग, दोपहर 2:00 बजे से 3:00 बजे तक और शाम को आरती, 6:30 से 7:00 बजे तक होती है।

कैसे बने शक्तिपीठ : पौराणिक कथा के अनुसार जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।