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Written By WD

रूठे बाबा बर्फानी, हिमलिंग पिघला

-सुरेश एस डुग्गर

रूठे बाबा बर्फानी, हिमलिंग पिघला -
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हालांकि अमरनाथ यात्रा को अभी 38 दिन बाकी हैं, लेकिन बाबा बर्फानी ने भक्तों को दर्शन देना बंद कर दिया है। बाबा रूठ गए है। समय से लगभग 38 दिन पहले ही बाबा बर्फीनी अंतर्धान हो गए हैं। अमरनाथ गुफा का शिवलिंग यात्रा से 38 दिन पहले पूरी तरह पिघल चुका है। जो लोग अभी बाबा के दर्शन नहीं कर पाए है वो निराश हो गए।

अब तक अमरनाथ गुफा में अढ़ाई लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। अमरनाथ गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा इस साल 28 जून से शुरू हुई थी, जो 24 अगस्त तक चलेगी। शिवभक्त बर्फानी बाबा के पवित्र गुफा में बर्फ से बने प्राकृतिक शिवलिंग के पिघलने से अब निराश हो गए हैं। दरअसल समुद्र तल से 3880 फीट की ऊंचाई पर होने के कारण पानी की बूंदें टपकने से दस फुट लंबा शिवलिंग बन जाता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन इस साल यात्रा खत्म होने से 38 दिन पहले ही बाबा बर्फानी का शिवलिंग पूरी तरह पिघल गया है।

ऐसा लगने लगा है कि बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठ गए हैं। अमरनाथ यात्रा पूरी होने से पहले ही बाबा बर्फानी अंतर्धान हो गए हैं। पवित्र गुफा में जिस शिवलिंग का आकार कई फुट का हुआ करता था, अब वो पूरी तरह पिघल चुके हैं।
हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बड़े ही उल्लास के साथ शुरू हुई थी अमरनाथ यात्रा। लेकिन, यात्रा शुरू होने के 18 दिन बाद ही बाबा बर्फानी अंतर्धान होने लगे थे। अचानक 18 फीट का शिवलिंग पिघलकर रहस्यमयी तरीके से छोटा हो गया था। 14 जुलाई को बाबा बर्फानी का आकार महज कुछ इंच का ही रह गया था।

मान्यताओं के मुताबिक अमरनाथ में साक्षात शिव और पार्वती का वास है। कहते हैं लाखों भक्तों को दर्शन देने के लिए शिव और शक्ति की मौजूदगी से ही हर साल यहां अपने आप बर्फ की मूरत में महादेव प्रकट होते हैं।

अभी तक भक्तों को 55 दिनों तक दर्शन देकर महादेव अंतर्धान हो जाते थे, लेकिन अब केदारनाथ की तरह ही अमरनाथ ने भी भक्तों से मुंह मोड़ लिया है। वैसे इस बार यात्रा शुरू होने के पहले से ही बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठे हैं।

14 मई को बाबा बर्फानी का आकार 18 फीट था, महीने भर में ये घटकर 9 फीट रह गया और अब ये महज कुंछ इंच का रह गया है। क्यों रूठ गए हैं बाबा बर्फानी?... आगे पढ़ें....

आखिर क्यों अमरनाथ की पवित्र गुफा से अंतर्धान हो गए भोले भंडारी? क्यों करीब दो हफ्तों में ही पिघल गया शिवलिंग? धर्म में आस्था रखने वालों के लिए ये एक बड़ा सवाल है, लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल अमरनाथ में पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ी है, जिसकी वजह से बर्फ का शिवलिंग पिघल गया।

आस्था की अमरनाथ गुफा को जाने वाले रास्ते सूखे और सपाट दिखाई देने लगे हैं। अमूमन इस वक्त इन रास्तों पर बर्फ ही बर्फ दिखाई पड़ती थी, लेकिन इस बार बर्फ का निशान भी नहीं है। आस्था की इस गुफा में इस बार कई श्रद्धालुओं के जाने की उम्मीद जताई जा रही है, ऐसे में यात्रा शुरू होने के बाद भक्तों के अलावा गुफा के आस-पास बड़ी तादाद में सुरक्षा कर्मी भी मौजूद हैं। भारी भीड़ की वजह से अमरनाथ गुफा के आसपास का तापमान और बहुत बढ़ गया, हालांकि श्राइन बोर्ड ने दावा किया था कि पिछले दो तीन साल में उन्होंने कुछ ऐसे उपाय किए हैं, जिससे गुफा तापमान ना बढ़े। आगे पढ़ें.... अब क्या करेगा श्राइन बोर्ड...

अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के सारे अनुमान धरे रह गए हैं। जिस लोहे की ग्रिल का सहारा अमरनाथ के हिमलिंग को बचाने के लिए लिया गया था वह भी उसे पिघलने से इसलिए नहीं बचा पाई क्योंकि इस बार 18 फुट का हिमलिंग पिघल गया है और ऐसा भक्तों की सांसों की गर्मी के कारण हुआ है जिससे निपटने का तरीका अत्याधुनिक तकनीक का ही सहारा है। हालांकि मामला कोर्ट में होने के कारण श्राइन बोर्ड फिलहाल तकनीक का सहारा नहीं ले पा रहा है।

श्राइन बोर्ड के अतिरिक्त सीईओ के अनुसार ‘इस बार भी हमने ऐसी व्यवस्था की थी कि कोई भी श्रद्धालु यात्रा शुरू होने और यात्रा के बाद हिमलिंग को न छूने पाए ताकि हिमलिंग की पवित्रता को बरकरार रखा जाए तथा उसे भक्तों के हाथों की गर्मी से पिघलने से बचाया जा सके।’ लेकिन, भक्तों की सांसों की गर्मी से श्राइन बोर्ड हिमलिंग को नहीं बचा पाया इसका उन्हें अफसोस है। अब क्या कोई रास्ता है... आगे पढ़ें....
वे कहते हैं कि गुफा को पूरी तरह से वातानुकूलित करने, आइस स्केटिंग रिंक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। इसी के तहत कई अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया गया था जिनमें एयर कर्टन, रेडियंटस कूलिंग पैनल्स और फ्रोजन ब्राइन टेक्निक का इस्तेमाल भी था।

उनका कहना था कि इनमें से कई तकनीकों का सफल प्रयोग मुंबई, श्रीनगर तथा गुलमर्ग में कर लिया गया था लेकिन अमरनाथ गुफा में इनका प्रयोग करने से पूर्व ही माननीय कोर्ट ने इन सब पर रोक उस समय लगा दी थी जब गुफा में कथित तौर पर कृत्रिम हिमलिंग बनाने का मामला उठा था। हालांकि वे कहते थे कि श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को रेडियंट कूलिंग पेनल्स का विकल्प बहुत ही जायज लगा था, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दिए जाने के कारण मामला अंतिम चरण में जाकर रुक गया।

इतना जरूर है कि कुछ उन उन्मादी श्रद्धालुओं के हाथों से, जो यात्रा शुरू होने से पहले ही गुफा तक पहुंच जाते हैं, हिमलिंग को बचाने की खातिर बोर्ड ने कुछ उपाय जरूर कर दिए थे जो भक्तों की भीड़ के आगे टिक नहीं पाए।