दिल्ली में बनेगी भाजपा की सरकार, जगदीश मुखी होंगे मुख्यमंत्री!
नई दिल्ली। विधायकों के ताजा चुनाव कराने के पक्ष में नहीं होने के बीच भाजपा ने संकेत दिया कि वह दिल्ली में सरकार बनाने का प्रयास कर सकती है लेकिन यह बताने से इनकार कर दिया कि बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा कैसे जुटाएगी। नवनियुक्त दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने इस मुद्दे पर पार्टी विधायकों और सांसदों के साथ दो अलग-अलग बैठकें करने के बाद कहा कि यदि उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा न्योता मिला तो पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने पर विचार कर सकती है।इस बीच आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली के उप राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा यह न्योता स्वीकार कर लेगी। दिल्ली में गत पांच महीने से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। केजरीवाल ने कहा कि अगर दिल्ली के उपराज्यपाल भाजपा को नहीं बुलाएंगे तो अनके साथ क्या होगा? क्या उनका हश्र भी अन्य राज्यपालों की तरह नहीं होगा? दूसरी तरफ केजरीवाल के दावे पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उनका दावा गलत निकला तो क्या वह माफी मांगेंगे।केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सरकार गठित करने के मुद्दे पर कहा कि भाजपा ने कभी भी खरीद-फरोख्त नहीं की और आगे भी नहीं करेगी।
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सूत्रों ने बताया कि अधिकतर विधायक और सांसद भाजपा के सरकार बनाने के पक्ष में थे तथा इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ब्राजील से लौटने के बाद होने की उम्मीद है।सूत्रों ने बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व वित्त मंत्री जगदीश मुखी मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार हैं क्योंकि उनके पार्टी में सभी हलकों से अच्छे समीकरण हैं।भाजपा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए पांच और विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी और पार्टी को भरोसा है वह उसे मिल जाएगा।ताजा चुनाव की मांग करने वाले आप नेता एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस के छह विधायकों को 20-20 करोड़ रुपए देकर खरीदने का प्रयास कर रही है।केजरीवाल ने ट्विट किया कि आप के किसी भी विधायक को खरीदने में असफल रहने पर भाजपा अब कांग्रेस के छह विधायकों को खरीदने का प्रयास कर रही है। एक की कीमत 20 करोड़ रुपए, दो मंत्री, चार अध्यक्ष।भाजपा के अंदरूनी सूत्रों कहना है कि कम से कम कांग्रेस के पांच विधायकों ने संकेत दिया है कि वे अलग समूह बनाकर भाजपा सरकार को समर्थन देने को तैयार हैं। दल बदल विरोधी कानून से बचने के लिए उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए एक और विधायक की जरूरत है। (एजेंसियां)