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Written By भाषा
Last Modified: देहरादून , सोमवार, 30 जून 2014 (18:37 IST)

उत्तराखंड : 4000 करोड़ की सहायता की मांग

उत्तराखंड : 4000 करोड़ की सहायता की मांग -
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देहरादून। पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा के बाद उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को पुन: गतिशील बनाने, पर्यावरण के अनुरूप पुनर्निर्माण और पुनर्वास कार्य करने तथा आधारित संरचना को नए सिरे से खड़ा करने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 4000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता देने की मांग की है।

यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में रावत ने कहा कि आपदा में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र केदारनाथ के पुनर्निर्माण तथा विकास के साथ ही 200 से भी अधिक संवदेनशील गांवों का पुनर्वास किया जाना है जिसमें आवास निर्माण, बिजली, पानी, ड्रेनेज सिस्टम, सड़क, स्कूल, मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए बड़े स्तर पर काम होना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शीघ्र उत्तराखंड आने का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि देवभूमि उत्तराखंड के प्रति मोदी की विशेष भावना होने से यहां चल रहे पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्यों में केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा।

पिछले वर्ष जून की भीषण आपदा से हुए नुकसान तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित किए गए राहत और बचाव कार्यों, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण कार्यों और उत्तराखंड के नवनिर्माण के लिए भविष्य की योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि भारतीय सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी के सहयोग से डेढ़ लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

आपदा के 1 साल बाद भी प्रभावित क्षेत्रों से नरकंकाल निकलने का जिक्र करते हुए रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने कभी यह दावा नहीं किया कि प्रभावित क्षेत्रों में कोई शव नहीं है तथा इसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर उसे आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

1998 की मालपा और मध्यमहेश्वर भूस्खलन की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा से भारी मात्रा में मलबे के नीचे दबे शवों को निकालने में स्वाभाविक समय लग जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने के बाद राज्य सरकार की प्राथमिकता प्रभावितों को तुरंत राहत पहुंचाने की थी तथा राज्य सरकार ने मानकों में परिवर्तन कर राहत राशि को बढ़ाकर कई गुना करते हुए प्रभावितों को सहायता पहुंचाई।

रावत ने कहा कि राज्य सरकार पुनर्निर्माण कार्य भी पूरी तत्परता से संचालित कर रही है और सभी प्रमुख सड़क मार्गों को पुन: बहाल कर दिया गया है। राज्य सरकार 3 वर्षों में 1,690 करोड़ रु. लागत से 6,229 किमी की कुल लंबाई की 1,057 सड़कों के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है।

उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए राज्य सरकार ने बीआरओ व एनएचएआई की सड़कों में काफी मात्रा में धन व्यय किया है और यात्रा मार्गों को काफी कुछ सही कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक पुनर्विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता है जिसमें भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण के सुझावों पर भी अमल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है।

अपने पत्र में रावत ने कहा कि मंदाकिनी घाटी के साथ ही यमुना, अलकनंदा, भागीरथी, पिंडर, गौरीगंगा, काली, नंदाकिनी आदि नदी घाटियों में तत्काल इन कार्यों को प्रारंभ किए जाने की आवश्यकता है तथा गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर भी सुरक्षा व पुनर्निर्माण का काम किए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में आपदा की स्थिति में तत्काल सहायता पहुंचाए जाने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों पर 52 हैलीपेड बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। इनमें कुछ स्थानों पर हेलीपेड शुरू भी कर दिए गए हैं तथा एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ का गठन किया गया है। मानसून में विभिन्न स्थानों पर एसडीआरएफ के जवानों को तैनात भी किया गया है। (भाषा)