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Written By भाषा

इराक में फंसे 41 भारतीय सकुशल : सुषमा स्वराज

इराक में फंसे 41 भारतीय सकुशल : सुषमा स्वराज -
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नई दिल्ली। इराक में फंसे भारतीयों के बारे में राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने कहा कि मोसुल में फंसे 41 भारतीय जीवित एवं सकुशल हैं तथा उनकी रिहाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक में फंसे भारतीय कामगारों के बारे में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर विभिन्न दलों के सदस्यों के स्पष्टीकरण के जवाब में स्वीकार किया कि मोसुल में बंदी बनाए गए 41 भारतीयों से सरकार का कोई सीधा संपर्क नहीं है, लेकिन परोक्ष संपर्कों के माध्यम से सरकार के पास जो सूचना है, उसके अनुसार सभी भारतीय जीवित एवं सकुशल हैं।

उन्होंने कहा, भारतीय नागरिकों विशेष रूप से मोसुल में बंदी बनाए गए ये 41 भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एवं संरक्षा हमारे लिए अत्यधिक चिंता तथा तत्काल कार्रवाई का मामला है। हम उनकी सुरक्षित वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

इन 41 लोगों की रिहाई के लिए बातचीत के बारे में कोई ब्‍योरा देने से परहेज करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी बातचीत गोपनीय होती है और इस बारे में पूरी बात नहीं बताई जा सकती। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने खाड़ी देशों के विदेश मंत्रियों, उनके राजदूतों सहित सभी ऐसे पक्षों से बातचीत की है जो रिहाई में मददगार साबित हो सकते हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उन 41 लोगों को ईद पर छोड़े जाने की चर्चा थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि वह भी एक मां की तरह उन 41 युवकों की वापसी की प्रतीक्षा कर रही हैं। विदेश मंत्री ने सदन को आश्वासन देते हुए कहा, हमारी सरकार का यह गंभीर प्रयास रहेगा कि इस समय इराक में प्रत्येक भारतीय नागरिक की सहायता की जाए और उनकी वापसी सुनिश्चित की जाए।

सुषमा ने कहा कि भारत सरकार इराक में फंसे हर भारतीय को वहां से निकालकर स्वदेश वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उन्हें डुप्लीकेट पासपोर्ट, आपात प्रमाण पत्र, हवाई टिकट तथा आर्थिक मदद मुहैया करवाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार इराक में सुरक्षा स्थिति पर नियमित रूप से पैनी नजर रखे हुए है। इराक में इस संकट की शुरुआत से ही हमने 15 जून, 24 जून और 28 जून को हमारे नागरिकों को नियमित रूप से यात्रा परामर्श जारी किया गया है। भारतीय नागरिकों को अगली अधिसूचना जारी होने तक इराक की यात्रा नहीं करने की सलाह दी गई है।

सुषमा ने कहा कि प्रवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा ईसीआर (आव्रजन जांच की आवश्यकता वाले देश) की श्रेणी के यात्रियों द्वारा उत्प्रवास पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जो 19 जून 2014 से प्रभावी हैं।

उन्होंने इराक में फंसे भारतीयों के सकुशल होने के बारे में सांसदों, मीडिया तथा अन्य लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि इराक में रहने वाले सभी 22 हजार भारतीय असुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि कुर्दिस्तान में रहने वाले सभी 15000 भारतीय सुरक्षित हैं।

सुषमा ने कहा कि इराक में कई ऐसे भारतीय हैं जो वहां से लौटना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 3938 लोगों को अपने खर्च पर वहां से सुरक्षित निकाला है और उन्हें उनके राज्यों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि सरकार एक व्यापक आव्रजन विधेयक तैयार कर रही है और अगले सत्र तक इसे लाए जाने की उम्मीद है।

उन्होंने लीबिया में भारतीय नागरिक डैनियल सोलोमन की बम विस्फोट में मौत होने की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार उनकी पार्थिव देह को जल्द से जल्द स्वदेश लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्होंने 46 भारतीय नर्सों की रिहाई में एक मलयाली व्यापारी की अहम भूमिका संबंधी खबर को खारिज करते हुए कहा कि अगर वह इतना प्रभावशाली है तो इन 41 लोगों की रिहाई में भी वह मदद करे और भारत सरकार उसे पद्मश्री से सम्मानित करेगी।

एक भारतीय युद्धपोत के वहां भेजे जाने की चर्चा पर विदेश मंत्री ने कहा कि आईएनएस मैसूर को वहां भेजा गया था और यह पोत कई दिनों तक उस क्षेत्र में रहा लेकिन जरूरत नहीं पड़ने के कारण उसे वापस बुला लिया गया।

उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान अब लीबिया से लोगों को सुरक्षित निकालने पर है। वहां की स्थिति को खराब बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन आदि देशों ने वहां अपने दूतावास बंद कर दिए हैं, लेकिन भारत का दूतावास 24 घंटे काम कर रहा है और यहां से अतिरिक्त अधिकारियों को लोगों की मदद के लिए वहां भेजा गया है।

चर्चा में कुछ सदस्यों द्वारा कैथोलिक पादरी फादर प्रेम कुमार का अफगानिस्तान में अपहरण किए जाने का मुद्दा उठाए जाने पर सुषमा ने कहा कि वह फादर प्रेम कुमार के घरवालों के संपर्क तथा अफगानिस्तान के राजदूत के संपर्क में हैं और जानकारी के अनुसार वह सकुशल हैं।

इसके पहले विभिन्न दलों के सदस्यों ने इराक में फंसे भारतीय लोगों की रिहाई सुनिश्चित किए जाने तथा वहां से वापस लौटे लोगों के लिए पुनर्वास पैकेज की मांग की। कांग्रेस की अंबिका सोनी ने कहा कि सरकार को 41 लोगों की रिहाई के लिए अन्य देशों से भी बात करनी चाहिए जो मददगार साबित हो सकते हैं।

उन्होंने एक विशेष समूह गठित किए जाने का सुझाव दिया जो बाहर जाकर काम करने वालों के संपर्क में रहे और उनकी हालत पर नजर रख सके। माकपा के पी राजीव और भाकपा के डी राजा ने इराक से लौटे भारतीय नागरिकों के पुनर्वास पर जोर दिए जाने की मांग की, वहीं सपा के नरेश अग्रवाल ने सवाल किया कि सरकार को बताना चाहिए कि इराक में बंधक बनाए 41 लोग किस हालत में हैं। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे पूरी दुनिया में संदेश जाए कि भारत एक बलशाली देश है।

तृणमूल कांग्रेस के डी बंदोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल से बाहर गए लोगों की समस्याओं का जिक्र किया वहीं जदयू के केसी त्यागी ने लोगों को बाहर भेजने वाली एजेंसियों पर नजर रखने और गड़बड़ी करने वाली एजेंसियों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की।

भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने सवाल किया कि इराक में फंसे जिन लोगों के पास उचित दस्तावेज नहीं हैं, सरकार उनकी वापसी के लिए क्या कर रही है। कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने कहा कि इराक से लौटी नर्सों को कार्य अनुभव प्रमाण पत्र और वेतन नहीं मिला है और सरकार को उनके पुनर्वास पर ध्यान देना चाहिए।

सपा के रामगोपाल यादव ने सवाल किया कि क्या पश्चिम एशिया संबंधी नीति में बदलाव हो रहा है। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने जहां नई सरकार की विदेश नीति को लेकर सवाल खड़े किए वहीं राकांपा के माजिद मेनन ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने की मांग की।

द्रमुक की कनिमोई, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय, राकांपा के डीपी त्रिपाठी, भाजपा के अविनाश रायखन्ना, निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर, शिअद के नरेश गुजराल, कांग्रेस के अश्विनी कुमार और भाजपा के वीपी सिंह बदनोर ने भी स्पष्टीकरण पूछे। (भाषा)