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Written By भाषा

अभी नहीं मिलेगी 'भोजन की गारंटी'

अभी नहीं मिलेगी ''भोजन की गारंटी'' -
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नई दिल्ली। कैबिनेट की बैठक में फूड बिल पर अध्यादेश लाने का फैसला टल गया। इसका खुलासा नहीं हुआ कि इसे आगे कब लाया जाएगा। बैठक के बाद वित्तमंत्री ने कहा कि अध्यादेश तैयार है। विपक्ष से बिल पर समर्थन मांगा जाएगा। इसके बाद इसे प्रस्तुत किया जाएगा।

अगर खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है, तो सरकार के सामने अगली चुनौती मॉनसून सत्र के दौरान खाद्य सुरक्षा बिल को संसद में पास कराने की होती। । इस प्रस्तावित कानून के तहत तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो मोटा अनाज जरूरतमंदों को देने का प्रावधान है।

बताया जा रहा है कि कैबिनेट की अहम बैठक से पहले मंत्रियों को अध्यादेश की ड्राफ्ट कॉपी भेज दी गई है। यह साफ संकेत है कि प्रधानमंत्री अब अध्यादेश लाकर देश में एक नई खाद्य सुरक्षा व्यवस्था लागू करना चाहते हैं।

कांग्रेस इस बिल के माध्यम से आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा उठाना चाहती है इसीलिए वह जल्दबाजी में है। लेकिन, इस बात को लेकर भी संशय है कि यह विधेयक पारित हो पाएगा या नहीं क्योंकि यूपीए में ही कई समर्थक दल ऐसे हैं, जो इसके खिलाफ हैं।

विरोध में है शरद पवार : उल्लेखनीय है कि संप्रग के प्रमुख सहयोगी दल राकांपा के अध्यक्ष और केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार ने पिछले हफ्ते खाद्य सुरक्षा विधेयक को अध्यादेश के जरिए जाने पर अपनी नाराजगी जताई थी। शरद पवार का कहना था कि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के विरोध में नहीं हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि संसद में इस विधेयक पर चर्चा होनी चाहिए। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी भी विधेयक के विरोध में हैं।

क्या है इस कानून का उद्देश्य : यदि खाद्य सुरक्षा कानून बनता है तो देश की 67 फीसद आबादी को अति रियायती दर यानी एक रुपए किलो मोटा अनाज, दो रुपए किलो गेहूं और तीन रुपए किलो चावल उपलब्ध कराया जा सकेगा। ... और यदि ऐसा होता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका फायदा निश्चित ही कांग्रेस को मिलेगा।

क्या हैं इसके प्रावधान....
* 63.5 प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज प्रदान करना।
* खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95000 करोड़ रुपए करना।
* कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 110000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव।
* ग्रामीण क्षेत्रों में 75 फीसदी आबादी को इस विधेयक का लाभ मिलेगा।
* शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान किए जाने का प्रस्ताव।
* गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा।
* स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1000 रुपए भी दिए जाने का प्रस्ताव।
* नया कानून लागू होने पर इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा।

क्या बोले खाद्य मंत्री : सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अध्यादेश जारी करने के बारे में मंत्रिमंडल में विचार किए जाने से एक दिन पहले खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सहित संप्रग के सभी गठबंधन सहयोगी एकसाथ हैं और उनमें अध्यादेश जारी करने पर आम सहमति है।

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की इस पसंदीदा योजना, खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद के बजट सत्र में सदन में पेश किया गया था लेकिन विभिन्न घोटालों को लेकर भारी हो हंगामे की वजह से विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। बहरहाल, सरकार इस विधेयक को जल्द लागू करने के लिए अध्यादेश जारी करने की इच्छुक है।

थॉमस ने कहा, इस पर (खाद्य विधेयक पर अध्यादेश लाने के संबंध में) राजनीतिक अपील की गई। यह एक महत्वपूर्ण कानून है। विभिन्न स्तरों पर चर्चा की गई है और इस पर आम सहमति है। विधेयक गुरुवार को मंत्रिमंडल के समक्ष विचार-विमर्श के लिए रखा जाएगा।

यह पूछने पर कि क्या इस विधेयक को लेकर सभी सहयोगी दल विशेषकर राकांपा की सहमति है, थॉमस ने कहा कि संप्रग सरकार में सभी खाद्य विधेयक अध्यादेश को लेकर एकसाथ हैं।

सरकार की यह योजना अगर लागू हो जाती है, तो देश की करीब 67 फीसदी आबादी को भोजन की गारंटी मिलेगी, जिसमें से 75 फीसदी आबादी ग्रामीण, जबकि 50 फीसदी लोग शहरी इलाके के होंगे। इस योजना के तहत हर व्यक्ति को पांच किलो अनाज एक से तीन रुपये किलो कीमत पर दिया जाएगा। योजना को लागू करने के लिए 6 करोड़ 20 लाख टन अनाज की जरूरत होगी, जिसका अनुमानित बजट तकरीबन एक लाख 25 हजार करोड़ होगा। (भाषा)