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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला
Last Updated : सोमवार, 22 जून 2020 (15:54 IST)

योग से पाइए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक उन्नति

विश्व योग दिवस (21 जून) पर विशेष

योग से पाइए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक उन्नति - world yoga day
योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। समय के साथ अब इसमें आर्थिक पक्ष भी जुड़ गया है। दुनिया भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता और दैनिक जीवन में बढ़ते तनाव के कारण योग शिक्षकों की देश और दुनिया में मांग बढ़ रही है। इसके चलते योग अब रोजगार का माध्यम भी बन गया है।

आर्य समाज इंदौर के प्रधान एवं 'योगालय' इन्दौर के निदेशक योगाचार्य डॉ. दक्षदेव गौड़ ने वेबदुनिया से चर्चा करते हुए बताया कि आधुनिक भागदौड़ की जिंदगी में तनाव हर व्यक्ति के जीवन पर हावी हो गया है। यही कारण है कि कार्पोरेट सेक्टर में भी अब अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही तनाव दूर करने के लिए योग प्रशिक्षकों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। इससे एम्पलाई और एम्पलायर दोनों को ही फायदा हो रहा है। जब व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ और तनावमुक्त होता है तो वह ऑफिस में भी अपना पूरा समय मनोयोग पूर्वक देता है। स्वाभाविक रूप से इसका सीधा लाभ एम्पलायर को भी मिलता है।

कोरोना कालखंड में रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पर डॉ. गौड़ कहते हैं कि योग का नियमित अभ्यास (आसन, प्राणायाम और ध्यान) करने वाला व्यक्ति बीमार होता ही नहीं। वह तो शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह मजबूत होता है।
 
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने की बात कही जा रही है। यदि व्यक्ति योग का नियमित अभ्यास करता है तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होकर वह तन और मन दोनों से ही स्वस्थ एवं शक्तिशाली हो जाता है। डॉक्टर भी मानते हैं कि जब व्यक्ति तनावग्रस्त होता है तो उसकी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। योग अभ्यास से आधि, व्याधि और उपाधि अर्थात् मानसिक, शारीरिक और भावात्मक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
उन्होंने कहा कि 80% से अधिक रोग तो मानसिक समस्याओं द्वारा शरीर के विभिन्न तंत्रों (systems) पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के कारण होते हैं। शरीर का मन के साथ गहरा सम्बंध है। तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ, तन-मन स्वस्थ तो जीवन स्वस्थ। योग के अभ्यास से रक्तचाप, कब्ज, मोटापा, तनाव, निषेधात्मक अर्थात् नकारात्मक चिंतन, डिप्रेशन आदि मनोकायिक रोगों (psychosomatic diseases) से भी मुक्ति मिलती है।

इनके लिए प्रारम्भ में किसी अनुभवी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ताड़ासन, पादहस्तासन, मत्स्यासन, नौकासन, सूर्य नमस्कार, शवासन, (relaxation) विपरीत करणी आदि यौगिक क्रियाएं की जा सकती हैं। इसके साथ ही योगाभ्यास से शरीर का अंत:स्रावी ग्रन्थी तंत्र (indo crine gland system) पुष्ट होता है जिसका सीधा असर शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ भावनात्मक क्षमताओं के विकास पर पड़ता है।

विश्व योग दिवस : दक्षदेव गौड़ कहते हैं कि विश्व योग दिवस (21 जून) की शुरुआत होने के बाद आज पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा हुआ है। चारों वेदों की देन योग विद्या भारत के विश्वगुरु होने का आधार रूप है, इसे दुनिया ने भी माना है। उन्होंने कहा कि विदेशों में हर जाति, संप्रदाय और वर्ग के लोगों ने योग को अपनाया है। दुनिया के करीब 80 देशों में लोग योग का अभ्यास करते हैं। इनमें 34 देशों में तो आर्य समाज के ही केन्द्र हैं।

डॉ. गौड़ कहते हैं कि भारत के आधा दर्जन से ज्यादा विश्वविद्यालयों में योग की शिक्षा प्रदान की जा रही है। इनके 
अतिरिक्त कई अन्य संस्थान भी हैं जहां योग की शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। जैन विश्व भारती संस्थान, मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं (राजस्थान) द्वारा पत्राचार के माध्यम से योग विषय में स्नातक एवं स्नातकोत्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। देश भर में इसके कई सेंटर भी हैं। हालांकि परीक्षा विश्वविद्यालय में ही जाकर देनी होती है।

अष्टांग योग : महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग की चर्चा करते हुए डॉ. गौड़ कहते हैं कि अष्टांग योग को दो हिस्सों- 
(बहिरंग योग साधन और अन्तरंग योग साधन) में रखा गया है। बहिरंग योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार (5 अंग) हैं जबकि अंतरंग योग में धारणा, ध्यान और समाधि (3 अंग) हैं। इन सबको मिलाकर अष्टांग योग कहा जाता है।
 
गौड़ कहते हैं कि हठ योग प्रदीपिका अनुसार आसनों के नाम जीव-जन्तुओं की योनियों पर आधारित हैं। वर्तमान में आसन के 264 प्रकार प्रचलन में हैं, 60 प्रकार के प्राणायाम प्रचलन में हैं जबकि योगदर्शन में प्राणायाम के कुल 4 भेद माने गए हैं। हठयोग में 15 मुद्राएं और षट्कर्म की 13 शुद्धि क्रियाएं हैं। पंचतत्व की 5 और पंच प्राण की 5 मुद्राएं भी हैं जिनका शरीर, मन और बुद्धि पर बहुत ही सटीक प्रभाव पड़ता है।

गौड़ कहते हैं कि योग विद्या भारत की अनमोल धरोहर है जो प्राणी मात्र के कल्याण के लिए ही है। इससे न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के स्वास्थ्य प्रेमियों को लाभ मिल रहा है। शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और भावनात्मक विकास के लिए सभी लोग नियमित योगाभ्यास करें।