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Last Modified: सोमवार, 2 जनवरी 2023 (15:21 IST)

कहां बढ़ा डिजिटल भुगतान? नोटबंदी के बावजूद देश में मुद्रा का चलन 83 फीसदी बढ़ा

कहां बढ़ा डिजिटल भुगतान? नोटबंदी के बावजूद देश में मुद्रा का चलन 83 फीसदी बढ़ा - Where did digital payments grow? Currency in circulation in the country increased by 83 percent despite demonetisation
नई दिल्ली। नोटबंदी का देश में चलन में मौजूद मुद्रा (सीआईसी) का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर, 2016 को की गई थी। इसके तहत 500 और 1000 रुपये के ऊंचे मूल्य के नोट बंद कर दिए गए थे। नोटबंदी की घोषणा के बाद आज चलन में मुद्रा करीब 83 प्रतिशत बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार सरकार के नोटबंदी के फैसले को उचित ठहराया है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को 1000 रुपये और 500 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इसके पीछे उनका उद्देश्य देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन के प्रवाह को रोकना था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में चलन में मुद्रा या नोट 4 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 23 दिसंबर, 2022 को 32.42 लाख करोड़ रुपए हो गया। 
 
हालांकि, नोटबंदी के तुरंत बाद सीआईसी छह जनवरी, 2017 को करीब 50 प्रतिशत घटकर लगभग 9 लाख करोड़ रुपए के निचले स्तर तक आ गई थी। चलन में मुद्रा चार नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपए थी। 
 
पुराने 500 और 1,000 बैंक नोटों को चलन से बाहर करने के बाद यह पिछले 6 वर्षों का सबसे निचला स्तर था। उस समय चलन में कुल नोटों में बंद नोटों का हिस्सा 86 प्रतिशत था।
चलन में मुद्रा में 6 जनवरी, 2017 की तुलना में तीन गुना या 260 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल देखा गया है, जबकि 4 नवंबर, 2016 से अब तक इसमें करीब 83 प्रतिशत का उछाल आया है।
 
जैसे-जैसे प्रणाली में नए नोट डाले गए चलन में मुद्रा सप्ताह-दर-सप्ताह बढ़ती हुई वित्त वर्ष के अंत तक अपने चरम यानी 74.3 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसके बाद जून, 2017 के अंत में यह नोटबंदी-पूर्व के अपने शीर्ष स्तर के 85 प्रतिशत पर थी।
 
नोटबंदी के कारण सीआईसी में छह जनवरी, 2017 तक लगभग 8,99,700 करोड़ रुपए की गिरावट आई, जिससे बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त तरलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह नकद आरक्षित अनुपात (आरबीआई के पास जमा का प्रतिशत) में लगभग 9 प्रतिशत की कटौती के बराबर था।
 
इससे रिजर्व बैंक के तरलता प्रबंधन परिचालन के समक्ष चुनौती पैदा हुई। इससे निपटने के लिए केंद्रीय बैंक ने तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत विशेष रूप से रिवर्स रेपो नीलामी का इस्तेमाल किया।
 
सीआईसी 31 मार्च, 2022 के अंत में 31.33 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 23 दिसंबर, 2022 के अंत में 32.42 लाख करोड़ रुपए हो गई। नोटबंदी के साल को छोड़ दिया जाए, तो चलन में मुद्रा बढ़ी ही है। यह मार्च, 2016 के अंत में 20.18 प्रतिशत घटकर 13.10 लाख रुपए पर आ गई। 31 मार्च, 2015 के अंत में सीआईसी 16.42 लाख करोड़ रुपए थी। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 
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