क्या होता है pink tax, जिसे किरण मजुमदार शा ने बताया शर्मनाक, क्यों हो रही इसकी चर्चा?
पिंक टैक्स pink tax यह शब्द एक बार फिर से चर्चा में है। सोशल मीडिया में इसे लेकर जमकर बहसबाजी हो रही है। दरअसल, आपने इनकम टैक्स और जीएसटी जैसे टैक्स के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आपको नहीं पता होगा कि पिंक टैक्स भी होता है। जानते हैं क्या होता है पिंक टैक्स pink tax, क्यों लगता है और किसे देना होता है।
सरकार नहीं, कंपनियां वसूलती हैं : दरअसल यह टैक्स यानी पिंक टैक्स महिलाएं चुकाती हैं। हालांकि बहुत कम महिलाएं होती हैं, जिन्हें इसके बारे में पता होता है। क्योंकि यह कोई अधिकारिक टैक्स नहीं है और न ही यह टैक्स सरकार वसूलती है। ये टैक्स कंपनियां वसूलती हैं और इसका सीधा असर महिलाओं की जेब पर होता है।
जेंडर बेस्ड होता है ये टैक्स : पिंक टैक्स जेंडर बेस्ड टैक्स है, जो सिर्फ महिलाओं से वसूला जाता है। खासकर जब कोई प्रोडक्ट महिलाओं के लिए होता है। आसान शब्दों में कहें तो ये एक अदृश्य लागत है, जिसे महिलाएं अपने सामान और सर्विसेस के लिए चुकाती हैं।
कैसे वसूला जाता है ये टैक्स : आमतौर पर यह टैक्स महिलाओं के प्रोडक्ट के बदले वसूला जाता है। मसलन, मेकअप का सामान, नेल पेंट, लिपस्टिक, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी, सेनिटरी पैड आदि। बता दें कि इन प्रोडक्ट्स की कीमत काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से महिलाओं को प्रोडक्शन कॉस्ट और मार्केटिंग कॉस्ट मिलाने के बाद भी करीब तीन गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है।
यहां भी पिंक टैक्स : आपको बता दें कि कुछ प्रोडक्ट्स पुरुष और महिलाएं दोनों के लिए होते हैं, जिन्हें यूनिसेक्स प्रोडक्ट कहा जाता है। जैसे परफ्यूम, पेन, बैग, हेयर ऑयल, रेजर और कपड़े आदि। ये प्रोडक्ट्स एक ही कंपनी के होने के बावजूद भी इनकी कीमत अलग-अलग होती है। इनके लिए भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक कीमत चुकानी होती है। इतना ही नहीं एक सैलून में बाल कटवाने के लिए भी पुरुषों के बालों की कटिंग से कहीं ज्यादा कीमत महिलाओं को देनी पड़ती है।
ऐसे कंपनियां उठाती है फायदा : दरअसल, महिलाएं अपनी खूबसूरती और केयर को लेकर काफी सजग होती हैं। महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कई तरह के पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं। शॉपिंग में भी महिलाएं पुरुषों से आगे होती हैं, कंपनियां इसी बात का फायदा उठाती हैं और शानदार मार्केटिंग और पैकेजिंग के दम पर महिलाओं को लुभाती हैं।
Edited by Navin Rangiyal