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Last Modified: लखनऊ/ नई दिल्ली , शुक्रवार, 6 जनवरी 2017 (09:03 IST)

सपा में नहीं थमा बवाल, मुलायम और अखिलेश में किसकी होगी जीत?

Mulayam Singh Yadav
लखनऊ/ नई दिल्ली। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की तरफ से समाजवादी पार्टी पर कब्जे को लेकर प्रयास अब भी जारी है। वहीं पिता और पुत्र के नेतृत्व वाले दोनों धड़ों के बीच सुलह की नए सिरे से कोशिश भी जारी रही।
 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश को मुलायम सिंह की जगह उनके धड़े ने रविवार को सपा का 'अध्यक्ष' नियुक्त किया था। अखिलेश ने गुरुवार को सात और जिला पार्टी इकाइयों के प्रमुखों को नियुक्त किया, जो पार्टी पर मजबूत होती उनकी पकड़ को दर्शाता है।
 
मुख्यमंत्री खेमे की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी की मैनपुरी, मुरादाबाद, फतेहपुर, इटावा, फरूखाबाद, हरदोई और फिरोजाबाद जिला इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया।
 
नए चेहरों के लिए रास्ता साफ करने के वास्ते तत्काल प्रभाव से इन जिला इकाइयों के मौजूदा अध्यक्षों को भी बर्खास्त कर दिया गया था। अखिलेश ने बुधवार को देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ और मिर्जापुर जिला इकाई के अध्यक्ष नियुक्त किए थे। इन सभी जिलों के अध्यक्षों को शिवपाल यादव ने हटा दिया था। शिवपाल मुलायम सिंह यादव के धड़े वाली समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
 
ये कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब प्रतिद्वंद्वी धड़े ‘समाजवादी पार्टी’ नाम और ‘साइकिल’ चुनाव चिह्न का कब्जा हासिल करने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष अपना बहुमत साबित करने की खातिर पार्टी सांसदों, विधायकों और प्रतिनिधियों का समर्थन जुटाने का जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं।
 
मुलायम और शिवपाल आज सुबह चुनाव आयोग को मुश्किलों में घिरी पार्टी में उन्हें जो समर्थन हासिल है, उसका ब्योरा सौंपने के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे।
 
हालांकि, अखिलेश लखनऊ में अपने आधिकारिक आवास पर ही रहे। वह हस्ताक्षरित हलफनामा जुटाने में लगे रहे ताकि बहुमत का समर्थन उनके पास होने का दावा कर सकें।
 
ऐसे दावे किए गए कि अखिलेश गुट ने 200 से अधिक विधायकों और विधान पाषर्दों का हस्ताक्षरित हलफनामा हासिल कर लिया है। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि ज्यादातर पार्टी विधायक, विधान पाषर्द और सांसद उनके साथ हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि चुनाव आयोग अखिलेश खेमे को ‘साइकिल’ चुनाव चिह्न आवंटित करेगा। अग्रवाल अखिलेश के करीबी माने जाते हैं।
 
दिल्ली में मुलायम ने इस बात की चर्चा के बीच अपने विश्वासपात्र अमर सिंह के साथ बैठक की कि वे 50 फीसदी से अधिक विधायकों और पदाधिकारियों के समर्थन पत्र के साथ चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
 
मुलायम के करीबी सहायकों ने कहा कि उन्होंने आयोग से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा है, लेकिन चुनाव आयोग ने इस बात का दृढ़ता से खंडन किया कि कोई मुलाकात का समय मांगा गया है। कुछ घंटे बाद मुलायम आयोग का दरवाजा खटखटाए बिना शिवपाल के साथ लखनऊ लौट आए। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि उन्हें सपा संस्थापक से कोई दस्तावेज नहीं मिला है।
 
एक अधिकारी ने दावा किया, 'दरअसल, उनके पक्ष की तरफ से राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटाने का पत्र सौंपा जाना अब भी बाकी है।' शाम में मुलायम के लखनऊ लौटने के बाद सपा नेता आजम खान ने दिन में दूसरी बार अखिलेश से मुलाकात की। वह दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास कर रहे हैं। (भाषा) 
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