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Last Modified: बुधवार, 14 मई 2025 (17:05 IST)

कर्नल सोफिया, हिमांशी, और बहन-बेटियों पर बिगड़े बोल: कायरों की कुंठा का काला सच

कर्नल सोफिया कुरैशी
Vijay Shah remark on sofia qureshi : जब तर्क खत्म हो, विवेक सूख जाए, और हार का गुस्सा सिर चढ़ बोलने लगे, तो कुछ लोग जीभ और तालू से वार करना शुरू कर देते हैं। और निशाना? देश की बेटियां! कर्नल सोफिया कुरैशी को ‘उनकी बेटी’ कहकर पराया करने की कोशिश, शहीद विनय नरवाल की विधवा हिमांशी को ‘कुल्टा’ का तमगा, और विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बेटी को ‘देशद्रोही’ का ठप्पा—ये सब क्या दर्शाता है? एक ऐसी बौखलाई भीड़ की कुंठा, जो अपनी नाकामी छिपाने के लिए औरतों को निशाना बनाती है। ये लोग भूल गए हैं कि देश की बेटियों को दबाने की कोशिश उनकी कायरता का खुलासा है।

कर्नल सोफिया कुरैशी: ‘उनकी बहन नहीं देश की बेटी है’
मध्य प्रदेश के भाजपा नेता और मंत्री विजय शाह का बयान, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिन्दूर की कमान संभालने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को ‘उनकी बहन’ कहा, उनकी संकीर्ण मानसिकता का आईना है। कर्नल सोफिया, जिनकी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का लोहा दुनिया मान रही है, उनका ‘अपराध’ क्या है? एक मुस्लिम महिला का सेना में उच्च पद पर होना? या उनकी शानदार उपलब्धियां, जो कुछ लोगों की छोटी सोच को चुभ रही हैं? यह बयान न सिर्फ सोफिया का अपमान है, बल्कि देश की हर उस बहन-बेटी का तिरस्कार है, जो अपने दम पर आगे बढ़ रही है।

हिमांशी नरवाल: शांति की वकालत का ‘गुनाह’
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल का दर्द कोई नहीं समझ सका। अपने सुहाग खोने के बाद भी उन्होंने विवेक नहीं खोया। आतंकियों की करतूत का गुस्सा उन्होंने आम कश्मीरियों या मुसलमानों पर नहीं उतारा। उन्होंने शांति और सद्भाव की बात की। लेकिन यह बात अतिवादी सोच वालों को कहां पचनी थी? एक विधवा, जो दुख की घड़ी में भी नफरत की जगह अमन की बात करती है, उसे ‘देशद्रोही’ कहकर गालियां दी गईं। यह कैसा समाज है, जो एक औरत की पीड़ा को नहीं समझता और उसकी समझदारी को दंडित करता है?

विक्रम मिस्री की बेटी: ट्रोलिंग की शिकार
विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनकी बेटी को भी इस जहरीली सोच का शिकार बनाया गया। सरकार के सीजफायर फैसले को दुनिया के सामने रखना उनका कर्तव्य था, लेकिन ट्रोलर्स ने इसे अपराध मान लिया। नतीजा? उनकी बेटी को निशाना बनाया गया, उसकी निजी जानकारी ऑनलाइन उछाली गई। एक पिता को अपनी बेटी को बचाने के लिए अपना सोशल मीडिया अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा। यह क्या देश के जिम्मेदार नागरिकों का परिचय है? जब मन की नहीं चलती, तो औरतों को गालियां देकर, उन्हें नीचा दिखाकर पुरुषवादी अहम तुष्ट करना शर्मनाक है।

यह कैसी मानसिकता?
यह विडंबना है कि एक तरफ देश आतंकवादियों की निंदा कर रहा है, जो धर्म पूछकर लोगों को मारते हैं, और दूसरी तरफ कुछ लोग उसी विभाजनकारी सोच को हवा दे रहे हैं। आखिर देश की बेटियां ही क्यों निशाने पर हैं? क्या हमारी संस्कृति हमें यही सिखाती है—महिलाओं को उनकी राय या जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रताड़ित करना?

ये बौखलाई भीड़ भूल गई कि नाजुक वक्त में औरतों को गरियाना उनकी कायरता का सबूत है। कर्नल सोफिया, हिमांशी नरवाल, और विक्रम मिस्री की बेटी—ये सभी देश की शान हैं। इनका संयम और विवेक ही वह ताकत है, जो बदले की आग में देश की शांति को जलने से बचा रही है।

यह वक्त उन लोगों को चेताने का है, जो औरतों की अस्मिता पर हमला करते हैं। देश की बेटियों को नीचा दिखाने की कोशिश करने वालों को यह देश कभी माफ नहीं करेगा। क्योंकि जब वीरों की पहचान मुश्किल वक्त में होती है, तो देश की बेटियों ने हर बार साबित किया है कि वे न सिर्फ साहसी हैं, बल्कि इस देश की एकता और शांति की असली रक्षक हैं।


 
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