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  4. Vice President Jagdeep Dhankhar's statement on the Preamble of the Constitution
Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 28 जून 2025 (15:15 IST)

संविधान की प्रस्तावना में बदलाव को लेकर क्या बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

Jagdeep Dhankhar
Dhankhar's statement: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने शनिवार को कहा कि संविधान की प्रस्तावना परिवर्तनशील नहीं है। धनखड़ ने कहा कि भारत के अलावा किसी दूसरे देश में संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं किया गया। इस प्रस्तावना में 1976 के 42वें संविधान (Amendment)  अधिनियम के जरिए बदलाव किया गया था। संशोधन के माध्यम से इसमें समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता शब्द जोड़े गए थे।
 
आंबेडकर ने संविधान पर कड़ी मेहनत की थी : धनखड़ ने कहा कि  हमें इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बी.आर. आंबेडकर ने संविधान पर कड़ी मेहनत की थी और उन्होंने निश्चित रूप से इस पर ध्यान केंद्रित किया होगा। धनखड़ ने यह टिप्पणी यहां एक पुस्तक के विमोचन समारोह में की।ALSO READ: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों को प्रत्यक्ष सब्सिडी देने की फिर से की वकालत

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया था। आरएसएस ने कहा था कि इन शब्दों को आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे।
 
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के इस आह्वान की आलोचना की है कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए कि 'धर्मनिरपेक्ष' व 'समाजवादी' शब्दों को संविधान की प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं? उन्होंने इसे 'राजनीतिक अवसरवाद' और संविधान की आत्मा पर 'जानबूझकर किया गया हमला' करार दिया है। होसबाले के बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।ALSO READ: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद में रचनात्मक बहस और संवाद की आवश्यकता पर दिया जोर
 
इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक पत्रिका में शुक्रवार को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान इसे तहस-नहस करने के लिए नहीं है बल्कि आपातकाल के दौर की नीतियों की विकृतियों से मुक्त होकर इसकी मूल भावना को बहाल करने के बारे में है।
 
संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आह्वान का परोक्ष रूप से समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि कोई भी सही सोच वाला नागरिक इसका समर्थन करेगा, क्योंकि हर कोई जानता है कि ये शब्द डॉ. भीम राव आंबेडकर द्वारा लिखे गए मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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