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Last Modified: शनिवार, 28 जून 2025 (10:56 IST)

ट्रेन के वेटिंग टिकटों की संख्‍या सीमित करने पर बवाल, क्या बोले एक्सपर्ट?

Train waiting tickets
Train waiting tickets : ट्रेन में ट्रेन के वेटिंग टिकटों की संख्‍या सीमित करने पर बवाल मचा हुआ है। सभी श्रेणियों की कुल सीट में से केवल 25 प्रतिशत वेटिंग टिकट जारी करने के रेलवे फैसले को आरक्षण पर्यवेक्षकों, टिकट बुकिंग क्लर्कों और कुछ वाणिज्यिक अधिकारियों ने रेलवे के लिए गैर-लाभकारी और यात्रियों के लिहाज से असुविधाजनक बताया है।
 
हालांकि, मंत्रालय ने इस निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा है कि कुल प्रतीक्षारत यात्रियों में से औसतन एक-चौथाई से भी कम यात्रियों की सीट ‘कंफर्म’ हो पाती है और इसी को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत की सीमा तय की गई है।
 
रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल यात्रियों की सीट ‘कंफर्म’ होने के तरीके का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि पहले आरोप लगते थे कि रेलवे बहुत से यात्रियों को ‘वेटिंग’ श्रेणी में सीट बुक करने की अनुमति देता है, जिससे ट्रेनों में भीड़ हो जाती है। यह भी आरोप लगते थे कि रेलवे ने टिकट रद्द करने पर पैसा कमाया। इन आरोपों का खंडन करते हुए कुमार ने कहा कि रेलवे को आर्थिक लाभ की अपेक्षा यात्रियों की सुविधा की अधिक चिंता है।
 
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने 16 जून को रिजर्वेशन सुविधाओं वाली ट्रेनों के लिए फैसले को लागू किया था। मंत्रालय ने एक परिपत्र के माध्यम से सभी प्रमुख मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों और सीआरआईएस के प्रबंध निदेशक को अपने इस फैसले के बारे में बताया था, जिसके दो महीने बाद इसे लागू करने का फैसला किया गया।
 
17 अप्रैल के परिपत्र में कहा गया था, 'मामले की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि प्रतीक्षा सूची के तहत जारी होने वाले टिकटों की वर्तमान अधिकतम सीमा को संशोधित करके 25 प्रतिशत किया जाएगा।'
 
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ऐसी सीमा पहले भी लागू थी, लेकिन अधिक से अधिक लोगों को प्रतीक्षा श्रेणी में सीट रिजर्व करने की अनुमति दी गई थी।
 
साल 2013 के एक परिपत्र के अनुसार, एसी/ईसी और 2 एसी क्लास में प्रतीक्षा सूची के तहत जारी होने वाले टिकटों की सीमा क्रमशः 30 और 100 थी। इसी तरह, प्रथम श्रेणी, 3एसी/चेयर कार और स्लीपर क्लास में प्रतीक्षा सूची टिकटों की सीमा क्रमशः 30, 300 और 400 थी। नए प्रतीक्षा मानदंडों के क्रियान्वयन के एक सप्ताह बाद विशेषज्ञों के एक वर्ग के साथ-साथ रिजर्वेशन अधिकारियों ने भी इस निर्णय को अव्यावहारिक करार दिया।
 
रेलवे के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ वाणिज्यिक अधिकारी ने प्रतीक्षा सूची के आंकड़ों को भविष्य में निर्णय लेने के लिए मूल्यवान डेटा बताते हुए कहा, “प्रतीक्षा सूची मांग का रुझान बताती है, जिसके आधार पर हम विशेष ट्रेनें चलाने का निर्णय लेते हैं। अब हम यह कैसे करेंगे, जब सभी ट्रेनों की प्रतीक्षा सूची 25 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है?”
 
आरक्षण पर्यवेक्षकों ने कहा कि ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें बड़ी संख्या में टिकट रद्द किए जाने के कारण कुछ सीट खाली रही और फिर प्रतीक्षा सूची में शामिल सभी यात्रियों को कंफर्म सीट दिए जाने के बावजूद कुछ सीट नहीं भर पाई, जिससे रेलवे को नुकसान हुआ। एक तरफ सीट खाली रहती है और दूसरी तरफ जरूरतमंद लोग यात्रा करने में असमर्थ होते हैं।
 
एक अन्य रिजर्वेशन पर्यवेक्षक ने कहा, एजेंट अक्सर अधिक मांग वाले मार्गों पर बड़ी संख्या में बुकिंग करते हैं। वे ट्रेन के प्रस्थान से 48 घंटे पहले ही टिकट रद्द कर देते हैं, ताकि उन्हें नाममात्र का रद्दीकरण शुल्क देना पड़े। ऐसे मामलों में, इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि ट्रेन के प्रस्थान से पहले सीटों की उपलब्धता बढ़ जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि इससे स्टेशनों पर मौजूदा बुकिंग खिड़की पर काम करने वाले ब्रोकरों और दलालों को यात्रियों से पैसे कमाने का अवसर मिलेगा, क्योंकि निचले स्तर के टिकट बुकिंग कर्मचारियों के साथ सांठगांठ के कारण उन्हें सीट बुकिंग की स्थिति के बारे में पहले से जानकारी होती है। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta 
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