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उपराष्ट्रपति चुनाव : इस तरह चुना जाता है उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति चुनाव : इस तरह चुना जाता है उपराष्ट्रपति - vice president election : how vice president in elected
राष्ट्रपति के बाद भारत में उपराष्ट्रपति पद दूसरा बड़ा संवैधानिक पद होता है। भारत में नए उपराष्ट्रपति चयन के लिए हलचल शुरू हो चुकी है। आइए जानते हैं कि किस तरह चुना जाता है भारत का उपराष्ट्रपति....
 
इस तरह चुना जाता है उपराष्ट्रपति : उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है। इस पद पर चुना गया व्यक्ति जनप्रतिनिधियों की पसंद होता है। संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर मतदान के माध्यम से करते हैं। यह मत गोपनीय होता है। राष्ट्रपति चुनाव के विपरित राज्य विधानमंडल के सदस्य इसमें भाग नहीं लेते हैं। 
 
उपराष्ट्रपति पद के लिए अभ्यर्थी का नाम 20 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। साथ ही अभ्यर्थी द्वारा 15 हजार रुपए की जमानत राशि जमा करना आवश्यक होता है। प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है। 
 
वोटों की गिनती : राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही उपराष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती। उपराष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा हासिल करे।
 
पहली पसंद का महत्व : सबसे पहले का मतलब समझने के लिए वोट काउंटिंग में प्राथमिकता पर गौर करना होगा। सांसद वोट देते वक्त अपने मतपत्र पर ही क्रमानुसार अपनी पसंद के उम्मीदवार बता देते हैं। सबसे पहले सभी मतपत्रों पर दर्ज पहली वरीयता के मत गिने जाते हैं। यदि पहली गिनती में ही कोई उम्मीदवार जीत के लिए जरूरी वेटेज का कोटा हासिल कर ले तो उसकी जीत हो जाती है, लेकिन अगर ऐसा न हो सका तो फिर प्राथमिकता के आधार पर वोट गिने जाते हैं।
 
पहले उस उम्मीदवार को बाहर किया जाता है, जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले, लेकिन उसे प्राप्त वोटों से यह देखा जाता है कि उसकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले हैं।
इस तरह दौड़ से बाहर हो जाता है उम्मीदवार... पढ़ें अगले पेज पर...

कैसे होते हैं उम्मीदवार बाहर : दूसरी वरीयता के वोट ट्रांसफर होने के बाद सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर करने की नौबत आने पर अगर दो उम्मीदवारों को सबसे कम वोट मिले हों, तो बाहर उसे किया जाता है, जिसके पहली प्राथमिकता वाले वोट कम हों।
 
कौन बना रहता है दौड़ में : अगर अंत तक किसी को तय कोटा न मिले तो भी इस सिलसिले में उम्मीदवार बारी-बारी से बाहर होते रहते हैं और आखिर में जिसे भी सबसे अधिक वोट मिलते हैं वही विजयी होगा।
 
संविधान के अनुच्छेद 71 के अनुसार उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी सभी शंकाओं और विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 14 के अनुसार एक निर्वाचन अर्जी उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है। 
 
कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति : उपराष्ट्रपति बनने के लिए एक व्यक्ति में इन बातों का होना जरूरी है : 
* उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
* उसकी आयु 35 साल से कम नहीं होना चाहिए। 
* वह राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो। 
* ऐसा व्यक्ति भारत का उपराष्ट्रपति नहीं बन सकता जिसके पास केंद्र या राज्य सरकार या उसके अधीन किसी निकाय में लाभ का कोई पद हो। 
कौन नहीं बन सकता उपराष्ट्रपति.... पढ़ें अगले पेज पर....

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल : उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष रहता है। यदि पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा कार्यकाल समाप्त होने की वजह से नए उपराष्ट्रपति का चुनाव किया जा रहा हो तो उसका कार्यकाल निधार्रित अवधि पर समाप्त हो जाएगा। यदि मौत, इस्तीफे, बर्खास्तगी या किसी अन्य वजह से यह पद रिक्त होता है तो जल्द ही नया उपराष्ट्रपति चुन लिया जाएगा। चयनित व्यक्ति का कार्यकाल शपथ ग्रहण की तिथि से पांच दिन का होगा।
 
महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है उपराष्ट्रपति : भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है। इस पद की गरीमा इस बात से भी समझी जा सकती है कि देश में अब तक हुए 11 उपराष्ट्रपतियों में से 6 बाद में राष्ट्रपति भी बने हैं। किसी भी कारण से राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है। उस स्थिति में वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है, जिनका हकदार राष्ट्रपति होता है। 
 
संसद सदस्य नहीं बन सकता उपराष्ट्रपति : उपराष्ट्रपति न तो संसद सदस्य होता है न ही वह किसी भी विधानसभा का सदस्य होता है। यदि कोई सांसद या विधायक उपराष्ट्रपति बन भी जाता है तो उसे पद ग्रहण करने से पहले अपना पद छोड़ना होता है। वह राज्यसभा का पदेन सदस्य होता है।
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