Vande Mataram Discussion : कांग्रेस ने वंदे मातरम् के साथ अन्याय किया, लोकसभा में बोले राजनाथ सिंह
लोकसभा में वंदे मातरम् पर बहस के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बंगाल विभाजन के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान वंदे मातरम की गूंज जनमानस में बैठी। ब्रिटिश हुकुमत ने इसके खिलाफ एक सर्कुलर जारी किया, लेकिन फिर भी ब्रिटिश हुकूमत लोगों के मानस से वंदे मातरम को नहीं निकाल सकी। राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए उस समय वंदे मातरम समिति भी बनाई गई थी।
1906 में जब पहली बार भारत का पहला झंडा बनाया गया, तब उसके मध्य में वंदे मातरम् लिखा था। वंदे मातरम नाम से अखबार भी था। राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम के साथ जो न्याय होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। जन-गण-मण राष्ट्रीय भावना में बसी, लेकिन वंदे मातरम को दबाया गया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के साथ हुए अन्याय के बारे में हर किसी को जानना चाहिए। वंदे मातरम् के साथ कांग्रेस ने संविधान को भी खंडित करने का कार्य किया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 1951 में पहला संविधान संशोधन करके मूल संविधान के चरित्र को ही बदल दिया गया। यह इतना बड़ा परिवर्तन था, कि कानून के जानकारों ने इस संशोधन को The Second Constitution की संज्ञा दी थी। उस समय हमने संविधान की आत्मा बचाने की लड़ाई लड़ी थी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका बहुत विरोध किया था। उन्होंने पंडित नेहरू से कहा था “You are treating this Constitution as a scrap of paper” यानि आप इस संविधान के साथ रद्दी कागज जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
कुछ लोग यह नैरेटिव बनाने की कोशिश कर सकते हैं कि जन-गण-मण और वंदे मातरम् के बीच एक दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसा नैरेटिव बनाने का प्रयास विभाजनकारी सोच है। जो लोग यह बात नहीं समझते है वह मां की ममता को भी नहीं समझ सकते।
उन्होंने कहा कि जन-गण-मन और वंदे मातरम मां भारती की दो आंखें है। मां भारती के दो अमर सपूतों की किलकारियां हैं। वंदे मातरम का उदघोष किसी के खिलाफ नहीं है। बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान की अभिव्यक्ति है। उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम के साथ जो अन्याय हुआ, उसे जानना आवश्यक है, क्योंकि देश की भावी पीढ़ी वंदे मातरम के साथ अन्याय करने वालों की मंशा जान सके। आज हम वंदे मातरम की गरिमा को फिर से स्थापित कर रहे हैं। Edited by : Sudhir Sharma