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Written By Author सुरेश एस डुग्गर

मनमानियों के लिए प्रसिद्ध है 'वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड'

मनमानियों के लिए प्रसिद्ध है 'वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड' - Vaishnodevi Shrine Board, Jammu and Kashmir High Court, Vaishno Devi Tour
जम्मू। हालांकि जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने आरती और दर्शनों के लिए ली जा रही फीस के मामले में वैष्णोदेवी स्थापना बोर्ड को नोटिस जारी किया है। इस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बोर्ड से दो हफ्ते के भीतर अपना पक्ष रखने को भी कहा है, पर वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड के बारे में अक्सर यही कहा जाता है कि अगर उसे मौका मिले तो वह अपनी मनमानी करते हुए दर्शनों की खातिर अच्छी खासी फीस निर्धारित कर अपना खजाना भरना चाहेगा क्योंकि श्राइन बोर्ड अपनी मनमानियों के लिए जाना जाता है।
जानकारी के लिए श्री माता वैष्णोदेवी स्थापना बोर्ड ने 1 जून 2008 से माता के दर्शनों के लिए आ रहे भक्तों को बेहतर सुविधाएं देने के तहत वैष्णोदेवी की पवित्र गुफा में सुबह-शाम को होने वाली आरती समेत जल्दी दर्शन करने के लिए कुछ फीस लगाई थी। वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने एक आदेश जारी कर वैष्णोदेवी भवन के पास गेट नंबर 2 अर्थात वीआईपी गेट से दर्शनों के लिए इच्छुक यात्रियों को 500 रुपए प्रति श्रद्धालु, गेट नंबर 5 अर्थात आर्मी गेट से दर्शनों के लिए इच्छुक यात्रियों को 400 प्रति श्रद्धालु और सुबह और शाम होने वाली अटका आरती में भाग लेने के लिए इच्छुक यात्रियों के लिए फीस के तौर पर 1000 रुपए तय किए थे।
 
हालांकि इस आदेश से अटका आरती में फीस देकर हिस्सा लेने वालों की संख्या कुल संख्या का 30 प्रतिशत ही रखा गया है। श्रद्धालुओं से विशेष दर्शन और अटका आरती के नाम पर ली जा रही इस फीस के खिलाफ अब हाईकोर्ट के एक वकील ने जनहित याचिका दायर की है, जिसमें इस फीस को गैर जरूरी और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया है।
 
याचिकाकर्ता सुमित नैयर के मुताबिक, इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने श्री माता वैष्णोदेवी स्थापना बोर्ड के चेयरमैन समेत कई अधिकारियों को दो हफ्तों के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, कोर्ट ने भी श्री माता वैष्णोदेवी स्थापना बोर्ड के इस फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है।
 
जानकारी के लिए वर्ष 2008 में मई महीने में जब श्राइन बोर्ड ने इस आशय का आदेश निकाला था तो इसका जमकर विरोध हुआ था। विरोध के चलते हालांकि श्राइन बोर्ड ने वीआईपी तथा आर्मी गेट के लिए निर्धारित फीस को लागू नहीं किया था। जानकारी के लिए वह तो हर श्रद्धालु से रुपए 50 की कमाई करने की ताक में था जो जनरल गेट से भी आउट ऑफ टर्न दर्शनों की सुविधा चाहता था।
 
पिछले साल भी श्राइन बोर्ड उस समय विवादों में रहा था जब उसने हेलीकॉप्टर की टिकटों पर प्रति सवारी रुपए 150 का सर्विस टैक्स लगाया था। भाजपा के विरोध के बावजूद इस टैक्स को अभी तक हटाया नहीं गया है। तब भी तर्क दिया गया था कि नेकां के शासनकाल में प्रति सवारी रुपए 300 हेलीकॉप्टर लैंडिंग चार्ज लगाया गया था, जो आज भी जारी है और ऐसे में वह सर्विस टैक्स के हटाने से इंकार करता रहा है।