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Last Modified: मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 (11:09 IST)

उन्नाव प्रकरण : कस रहा है सीबीआई का शिकंजा

उन्नाव प्रकरण : कस रहा है सीबीआई का शिकंजा - Unnao rape case, Unnao case, CBI, rape victim
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बलात्कार और हत्या के मामले में भारतीय जनता पार्टी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य आरोपियों पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई अधिकारियों को पीड़िता को विधायक से मिलवाने ले गईं शशि सिंह से अहम जानकारी हासिल हुई है, वहीं पीड़िता के कलमबंद बयान से आने वाले दिनों में सेंगर की मुसीबत बढ़ सकती है।


मामले में विधायक की संलिप्तता को पुख्ता करने के लिए सीबीआई उनका नार्को टेस्ट भी करा सकती है। जांच एजेंसी ने पीड़िता को बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले में कल चौथी एफआईआर दर्ज की थी। उन्होंने बताया कि किशोरी के कलमबंद बयान दर्ज कराने के बाद अब सीबीआई विधायक व शशि सिंह से उसका सामना कराएगी।

सीबीआई का शिकंजा सामूहिक दुष्कर्म के आरोपितों पर जल्द कसेगा और उनका भी सामना विधायक से कराया जाएगा। मामले की गुत्थी सुलझाने में जुटी सीबीआई ने माखी थाने में मौजूद अहम दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेकर खंगालना शुरू कर दिया है, वहीं पीड़िता के पिता की हत्या को लेकर पुलिसकर्मी, कारागार कर्मी, डॉक्टर और विधायक के गुर्गे सीबीआई के राडार पर हैं।

सीबीआई अधिकारियों ने पीड़िता और उसके परिजनों को मीडिया के सामने मामले से संबंधित अनर्गल बयानबाजी से बचने की सलाह दी है। पिछले साल 20 जून को माखी थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर सीबीआई ने कल चौथी प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें पीड़ित किशोरी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

पीड़ित किशोरी 11 जून, 2017 को लापता हो गई थी। माखी थाने में 20 जून को किशोरी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। किशोरी के न्यायालय में बयान दर्ज कराने के बाद पुलिस ने मुकदमे में सामूहिक दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट की बढ़ोतरी की थी। पुलिस ने आरोपी शुभम सिंह, नरेश तिवारी और बृजेश यादव को गिरफ्तार किया था और एक अगस्त, 2017 को तीनों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।

पीड़ित किशोरी को औरैया निवासी बृजेश के घर से बरामद किया गया था। शशि सिंह सामूहिक दुष्कर्म मामले के आरोपी शुभम की मां हैं। नरेश तिवारी विधायक का चालक है। सूत्रों का कहना है कि मामले में निलंबित किए गए माखी थाने के पुलिसकर्मियों ने सेंगर द्वारा नामजद तीनों आरोपियों की पैरवी करने की बात स्वीकारी है।

जांच एजेंसी ने इसके अलावा पीड़िता के पिता की हत्या व उसके परिजनों के खिलाफ मारपीट के मुकदमे भी दर्ज किए हैं। सीबीआई ने इस मामले में पीड़िता, उसकी मां और चाचा का बयान दर्ज करने के बाद बांगरमऊ के विधायक को गिरफ्तार कर 14 अप्रैल को रिमांड मजिस्ट्रेट सुनील कुमार के समक्ष पेश किया था, जहां से उन्हें सात दिन के लिए पुलिस रिमांड पर सीबीआई को दे दिया गया था।

उसी दिन सीबीआई ने इस मामले में आरोपित शशि सिंह को गिरफ्तार कर 15 अप्रैल को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था। सीबीआई के अनुरोध पर अदालत ने चार दिन का पुलिस रिमांड मंजूर करते हुए पूछताछ के लिए सीबीआई को दिए जाने का आदेश दिया था। इस मामले में कल सीबीआई कलमबंद बयान कराने के लिए पीड़िता को लेकर अदालत पहुंची।

इस दौरान पीड़िता की मां भी साथ रहीं। अदालती कार्यवाही समाप्त होने के बाद सीबीआई पीड़िता को अपने साथ लेकर चली गई। दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मृत्यु के मामले में सीबीआई ने डॉक्टरों और विधायक के कनेक्शन की भी तलाश शुरू कर दी है। डॉक्टरों की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। दुष्कर्म पीड़िता के पिता को भर्ती करने से लेकर इलाज और मौत के बाद पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों से पूछा गया कि उनके पास किस-किस के फोन आए।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई दुष्कर्म पीड़िता के पिता को भर्ती करने वाले डॉ. प्रशांत उपाध्याय, जेल ले जाने के लिए उसे डिस्चार्ज करने वाले डॉ. जीपी सचान, डॉ. मनोज निगम तथा मौत वाले दिन उसे भर्ती करने वाले डॉ. गौरव से पूछताछ कर चुकी है। सभी से जानने की कोशिश की गई कि पीड़िता के पिता को जेल ले जाने के लिए डिस्चार्ज करने को उनसे किसी अधिकारी या विधायक ने बात की थी। (वार्ता)
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