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Last Updated : बुधवार, 2 अगस्त 2017 (00:26 IST)

डिजिटल जमाने में कुछ भी निजी नहीं : एएसजी

डिजिटल जमाने में कुछ भी निजी नहीं : एएसजी - UAIDI, Aadhar, Supreme Court, ASG
नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूएआईडीआई) ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को कहा कि शीर्ष अदालत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताए या नहीं, लेकिन डिजिटल जमाने में कुछ भी निजी नहीं रह गया है।
         
प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निजता के अधिकार की समीक्षा कर रही नौ-सदस्‍यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि निजता एक कीमती अधिकार है, जिसे आधार कानून में भी संरक्षण दिया गया है। 
         
उन्होंने कहा कि आधार के जरिए नागरिक को ट्रैक नहीं किया जा सकता। यदि अदालत इसकी अनुमति दे भी दे तब भी सरकार इसे निगरानी के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती।
         
मेहता ने कहा कि न्यायालय का काम कानून बनाना नहीं, बल्कि कानून की व्याख्या करना है। चाहे शीर्ष अदालत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताए या नहीं, लेकिन ऑनलाइन के दौर में कुछ भी निजी नहीं रह गया है।
         
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या आधार के डेटा को संरक्षित करने के लिए कोई मजबूत प्रणाली है? (वार्ता)
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