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Last Modified: सोमवार, 17 दिसंबर 2018 (13:29 IST)

तीन तलाक विधेयक हंगामे के बीच लोकसभा में पेश

तीन तलाक विधेयक हंगामे के बीच लोकसभा में पेश - triple talaq bill introduced in lok sabha
नई दिल्ली। तीन तलाक को गैर-कानूनी तथा गैर-जमानती अपराध बनाने संबंधी ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018’ सोमवार को लोकसभा में पेश हो गया।
 
विभिन्न मुद्दों पर सदन में जारी हंगामे के बीच विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शून्यकाल से पहले विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी। कांग्रेस के शशि थरूर ने यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि यह महिला उत्पीड़न रोकने जैसे वृहद मसलों की बजाय विधेयक एक समुदाय विशेष के लोगों के लिए कानून बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। यह सायराबानो मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है और चूंकि यह समुदाय विशेष के लिए लाया गया है, इसलिए यह संवैधानिक रूप से भी गलत है।
इसके जवाब में प्रसाद ने तर्क दिया कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है। उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक ठहराए जाने के बाद भी धड़ल्ले से यह कुप्रथा जारी थी। इसलिए, सरकार मुस्लिम महिलाओं के हित में यह विधेयक लाई है। इसके बाद शोर-शराबे के बीच ही सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश करने की स्वीकृति दे दी।
 
इस विधेयक में तीन तलाक देने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसके लिए सरकार पहले ही अध्यादेश ला चुकी है। तीन तलाक को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है, हालांकि पत्नी की सहमति पर जिला मजिस्ट्रेट आरोपी पति को जमानत दे सकता है। इसके अलावा यह भी प्रावधान है कि शिकायत का अधिकार पीड़िता पत्नी, उससे खून का रिश्ता रखने वालों और शादी से बने उसके संबंधियों को ही होगा।
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