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Last Updated : बुधवार, 17 मई 2017 (13:55 IST)

मोदी सरकार के तीन साल, इन 10 मोर्चों पर पिछड़ गई सरकार...

मोदी सरकार के तीन साल, इन 10 मोर्चों पर पिछड़ गई सरकार... - Three Years of Modi government: 10 points on which govt is struggling
प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता शीर्ष पर पहुंचने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं है कि सभी मोर्चों पर सफल रहे। सरकार की तेजी देखकर लोग खुश तो हैं, लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनसे लोगों में सरकार के प्रति नाराजी भी है। आइए नजर डालते हैं मोदी सरकार के उन फैसलों पर जिनसे लोगों की उम्मीदों को कड़ा झटका लगा...
 
  • नोटबंदी : नोटबंदी के फैसले से भ्रष्टाचार पर लगाम तो लगी लेकिन निवेश पर इसका बुरा असर हुआ। नोटबंदी से पहले तक मोदी लगातार विदेश दौरे कर निवेशकों को आकर्षित कर रहे थे उस प्रक्रिया पर भी कहीं न कहीं विराम लगा है। नोटबंदी के दौरान सरकार पर यह भी आरोप लगे कि इस फैसले से आम आदमी परेशान हुआ, जबकि बड़े लोग पिछले दरवाजे से नोट ले उड़े। 
     
  • पाकिस्तान मामला : स्तानी सेना द्वारा भारतीय जवानों के सिर काटकर ले जाने संबंधी घटनाओं से भी मोदी सरकार के प्रति लोगों की नाराजी बढ़ी। एलओसी पर संघर्ष विराम का उल्लंघन बढ़ा। कश्मीर में भी पत्थरबाजों ने सेना और सुरक्षाबलों की नाक में दम कर दिया।
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  • आतंकवाद : चुनाव से पहले आतंकवाद को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन मोदीराज में न तो नक्सलवाद के मोर्चे पर कोई खास सुधार दिखा न ही आतंकवाद के मामले में। नक्सलवादी हमलों में सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने की घटनाओं से भी लोगों का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ा।
     
  • रोजगार : मोदीराज में लोगों के रोजगार के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया। विपक्ष आए दिन रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरता रहता है। 
     
  • डिजिटल इंडिया : डिजिटल इंडियाको प्रोत्साहित किया गया मगर सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। लोगों में आज भी डर है कि कहीं वे धोखाधड़ी के शिकार न हो जाएं। इस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिल भी रही हैं। 
     
  • मेक इन इंडिया : मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया', 'मेड इन इंडिया' मंत्र का असर भी अब तक दिखाई नहीं दिया। पिछले वर्ष की लेबर ब्यूरो रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुशल कामगारों की संख्या महज 2 फीसदी है। जबकि दक्षिण कोरिया में 96 फीसदी स्किल्ड कर्मचारी हैं और जापान में इनकी संख्या 80 फीसदी तक है। सरकार के ही आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात की संभावना काफी कम बताई गई है कि सरकार 2022 तक अतिरिक्त 12 करोड़ कुशल कामगारों का लक्ष्य पूरा कर सकेगी।
     
  • पेट्रोल  : जब पेट्रोल के दाम कम हो रहे थे तो मोदीराज में जनता को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला। अब जब दाम बढ़ रहे हैं तो तेल कंपनियों के हित में उन्हें रोज भाव तय करने की अनुमति दे दी गई।   
     
  • काला धन : देश में न तो काला धन कम हुआ है और न ही विदेशों में रखा काला धन देश में लौट पाया है, लेकिन काले धन के उत्पादन की प्रक्रिया की गति जरूर धीमी पड़ी है।
     
  • राजनीतिक जोड़तोड़ : गोवा और मणिपुर में भाजपा ने जिस तरह जोड़तोड़ करके सरकार बनाई, उससे उसकी काफी आलोचना हुई। 
     
  • विरोधियों पर छापे : पूर्व केन्द्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम एवं राजद मुखिया लालू यादव पर छापे कार्रवाई को राजनीतिक दलों से लेकर लोगों ने बदले की कार्रवाई बताया।  
     
  • स्मार्ट सिटी योजना : स्मार्ट सिटी योजना पर जिस तरह से काम चल रहा है, लोगों को डर है कि वह 10 साल में भी पूरा हो पाएगा या नहीं। इस योजना के नाम पर कई शहरों भारी तोड़फोड़ की गई। जिन लोगों का इसमें नुकसान हुआ वे सरकार से सख्त नाराज है। 
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