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Written By Author गिरीश पांडेय
Last Updated : गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022 (20:27 IST)

अयोध्या में इस बार जगमगाएंगे रिकॉर्ड 15 लाख दीपक, हर साल बन रहा है नया कीर्तिमान

अयोध्या में इस बार जगमगाएंगे रिकॉर्ड 15 लाख दीपक, हर साल बन रहा है नया कीर्तिमान - This time 15 lakh lamps will be lit in Ayodhya, record is being made every year
रामनगरी अयोध्या एक बार फिर दीप जलाने का रिकॉर्ड बनाने को तैयार है। इस बार यहां 15 लाख दीप जलाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि तैयारी 17 लाख दीप जलाने की की गई है। इस बार दीपोत्सव के साक्षी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बनने जा रहे हैं। 
 
गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का अयोध्या से पुराना रिश्ता रहा है। हाल के 100 वर्षों के दौरान राम मंदिर को लेकर जो भी आंदोलन हुआ उसमें योगी के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ से लेकर उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ केंद्रीय भूमिका में रहे। इस परिवेश की वजह से बतौर गोरखपुर के सांसद, पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ का भी अयोध्या से खासा लगाव रहा है।
 
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से वही लगाव रखा। इसी क्रम में उनकी पहल से दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत की गई। माना जाता है कि राम के वनवास से अयोध्या वापस आने पर वहां के लोगों ने खुशी में अपने घरों एवं चौबारों में दीपक जलाए। त्रेतायुग की उसी याद को ताजा करने के लिए दीपोत्सव की शुरुआत की गई।
 
इस अवसर पर सरयू की भव्य आरती के अलावा पूरे अयोध्या, मंदिरों, मठों, घाटों, सड़कों, चौराहों, सार्वजनिक स्थानों की साज-सज्जा के साथ, लाइटिंग, म्यूजिकल लेजर शो, म्यूजिकल ग्रीन फायर क्रैकर शो एवं दीपकों से जगमग हो उठती है। अयोध्या में सरयू के दाहिने ओर राम की पैड़ी पर लाखों दीपकों का एक साथ जलते देखना तो खुद में अभूतपूर्व एवं अकल्पनीय होता है। सरयू के जल में पड़ता इनका प्रतिबिंब देख यही लगता है मानो आसमान के सभी चांद-सितारे भी अपने राम के वनवास से आने की खुशी में अयोध्या ही आ गए हों।
 
प्रयास यह रहता है कि पूरा परिदृश्य बहुत हद तक वैसा ही हो जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और अन्य साथियों के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे। दीपोत्सव के दिन भी दोपहर बाद राम, लक्ष्मण एवं सीता का स्वरूप बने मंचीय कलाकार हेलीकॉप्टर से लैंड करते हैं। मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद रहती है। इस बार तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आना प्रस्तावित है।
 
2017 से शुरू दीपोत्सव हर साल खास से और खास होता गया। अगर अबकी यहां प्रधानमंत्री का आना हुआ तो यह दीपोत्सव बेहद खास हो जाएगा। दीपोत्सव के बाद राम का राजतिलक होता है। रामलीलाओं का मंचन तो पूरी रात चलता है।
हर साल बना कीर्तिमान : दीपोत्सव के नाते अयोध्या की देश-दुनिया में जबर्दस्त ब्रांडिंग हुई। हर साल दीप प्रज्वलन का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। वैश्विक महामारी कोरोना को अपवाद मान लें तो अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी।
 
मसलन 2017 के पहले दीपोत्सव के दौरान वहां सरयू के घाटों पर जलने वाले दीपकों की संख्या 1.71 लाख थी। तो 2018, 2019, 2021 एवं 2022 में यह बढ़कर क्रमशः 3.01, 4.04 , 6.06 व 9.41 लाख रही। दीपों की संख्या के लिहाज से हर साल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस साल 15 लाख दीप जलाने का लक्ष्य है। तैयारी 17 लाख दीपकों की की गई हैं। मसलन लगातार छठे साल भी अयोध्या के दीपोत्सव के नाम एक और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड जुड़ जाएगा।
 
2022 में पहुंचे रिकॉर्ड श्रद्धालु : दीपोत्सव की वजह से हुई ब्रांडिंग की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है। मसलन 2017 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 1 करोड़ 78 लाख 57 हजार 858 थी। 2018 में यह बढ़कर 1 करोड़ 95 लाख 63 हजार 159 हो गई।

2019 में यह संख्या 2 करोड़ 04 लाख 91 हजार 724 रही। 2020-2021 वैश्विक महामारी कोरोना का कालखंड था। लिहाजा इन वर्षों में क्रमशः 61 लाख 96 हजार 148 और 1 करोड़ 57 हजार 43 हजार 790 पर्यटक ही आए। 2022 में अगस्त तक अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या 2 करोड़ 21 लाख 38 हजार 805 रही। यह खुद में एक रिकॉर्ड है।
 
विदेशी कलाकारों ने भी किया है रामलीला का मंचन : दीपोत्सव के अवसर पर भगवान राम की स्वीकार्यता अलग-अलग देशों के रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों के जरिए दिखती है। स्थानीय कलाकारों को भी अपना फन दिखाने का मौका मिलता है। अब तक के 5 दीपोत्सव के दौरान इंडोनेशिया, श्रीलंका, त्रिनिदाद, रूस, लाओस, कम्बोडिया, नेपाल, फिलीपींस, फिजी,जम्मू कश्मीर, असम, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल के रामलीला दल अयोध्या में अपनी परंपरा के अनुसार रामलीलाओं का मंचन कर चुके हैं। (फाइल फोटो)
Edited By: Vrijendra Singh Jhala