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Last Modified: शुक्रवार, 12 जनवरी 2018 (17:34 IST)

'चीनी गोलियों' से बुलेट प्रूफ जैकेट भी बेकार

'चीनी गोलियों' से बुलेट प्रूफ जैकेट भी बेकार - Terrorist attack at CRPF camp, Pulwama
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 31 दिसंबर को सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले में 5 जवान शहीद हुए थे। इस हमले की विशेष बात यह सामने आई है कि मारे गए जवानों में से दो ने बुलेट प्रूफ जैकेट्स भी पहन रखी थीं।
 
इस जानकारी से केन्द्र सरकार के कान खड़े हो गए हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों की बंदूकों में जो गोलियां इस्तेमाल की जा रही हैं, वे चीन में बनी हैं। चीनी ग‍ोलियां इतनी खतरनाक हैं कि वे बुलैट प्रूफ जैकेटों को भी भेद सकती हैं और ये गोलियां चीन से पाकिस्तान तक पहुंचाई जा रही हैं।  
 
पिछले 31 दिसम्बर की रात में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सीआरपीएफ के पुलवामा कैंप पर हमला किया था। देर रात में अचानक हुए इस हमले में सुरक्षा बल के 5 जवान शहीद हुए थे। हालांकि जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बल ने पास की एक इमारत में छिपे तीन फिदायीन आतंकियों को मार गिराया था। पर शहीद 5 जवानों में से दो जवानों ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी हुई थी।  
 
सीआरपीएफ के ये जवान कैंप के गेट पर पहरा दे रहे थे और आतंकियों की गोली उनकी जैकेट को भेदते हुए सीने में जा लगी थीं। बुलेट प्रूफ जैकेट के बावजूद जवानों की मौत पर गृह मंत्रालय सन्न है। इस बात की भी जांच की गई कि कहीं जैकेट में ही तो कोई खराबी नहीं है, लेकिन जैकेट हर टैस्ट में खरी उतरीं।  
 
बाद में गोलियों की जांच में पाया गया कि आतंकियों ने बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने वाली खास किस्म की गोलियों का इस्तेमाल किया। सेना ने जांच की कि आखिर आतंकियों के पास इस तरह की गोलियां कहां से आईं? जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आतंकियों का मददगार कोई और नहीं बल्कि चीन है। 
 
चीन में इस तरह का स्टील तैयार किया जाता है जोकि बुलेट प्रूफ को भी भेद कर किसी के भी सीने के छलनी कर सकता है। और इस स्टील से बनी गोलियां चीन द्वारा आतंकियों को सप्लाई की जा रही हैं। जांच से यह तथ्य भी सामने आया कि आतंकियों की ओर से चलाई गई गोली का अगला भाग स्टील का बना होने के कारण बुलेट प्रूफ शील्ड उन्हें रोक नहीं पाई। 
 
गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, एके-47 राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली गोली का अगला हिस्सा अब तक तांबा का बना होता है जो बुलेट प्रूफ जैकेट को भेद नहीं पाता था और जवान डटकर मैदान में खड़े रहते थे लेकिन चीनी स्टील वाली ये नई बुलेट पहली बार कश्मीर में जवानों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल हुईं और बुलेट प्रूफ जैकेट नाकाम रहीं। 
 
इसके अलावा सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकियों के पास से वे हथियार भी मिले जो अमेरिका ने पाकिस्तान की सेना को द‍िए थे। गोली के आगे लगा स्टील अपना लक्ष्य भेदने में ज्यादा ताकत के साथ लगता है और ज्यादा नुकसान भी पहुंचाता है। इस हमले में आतंकियों की गोली ने सेना की बुलेट प्रूफ गाड़ी में भी छेद कर दिए थे। 
 
अब सुरक्षा एजेंसियों को चिंता है कि देश के बड़े राजनेता और वीवीआईपीज की सुरक्षा के लिए भी बुलेट प्रूफ कारें लगी हैं जिन्हें आतंकियों की गोली आसानी से निशाना बना सकती है। सुरक्षा एजेंसियों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करनी पड़ रही है क्योंकि इस नए खतरे के चलते उसे नए तरह की जैकेट्‍स और वाहनों की व्यवस्था करनी होगी तभी इस खतरे का सामना किया जा सकेगा।