आंदोलन के 44 दिन, न किसान माने न ही सरकार, बातचीत फिर रही बेनतीजा
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ केन्द्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके है, लेकिन न तो किसान मान रहे हैं और न ही किसान। दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। ऐसे में फिलहाल तो नहीं लगता कि इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा।
हालांकि सरकार को उम्मीद है कि किसान संगठनों के नेता 15 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा के लिए विकल्पों के साथ आएंगे। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि कानूनों को रद्द करने का तो सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में लगता है कि अगली बातचीत भी शायद ही किसी नतीजे पर पहुंच पाए।
तोमर ने कहा कि सरकार तब तक कुछ नहीं कर सकती, जब तक कि किसान संगठन नए कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग का विकल्प नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि कई किसान संगठन इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत में किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं दिया है।
किसानों के मुद्दे पर 11 जनवरी को शीर्ष अदालत में निर्धारित सुनवाई पर कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
दूसरी ओर, किसान यूनियन नेता जोगिन्दर सिंह उग्राहां ने कहा कि किसान और सरकार के बीच की बैठक बेनतीजा रही है। उन्होंने कहा कि हम कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि सरकार हमारी ताकत की परीक्षा ले रही है, हम झुकेंगे नहीं, ऐसा लगता है कि हम लोहड़ी, बैसाखी उत्सव यहीं मानएंगे।
एक अन्य किसान नेता हन्नान मौला ने कहा कि किसान अंतिम सांस तक लड़ने को तैयार, हैं। उन्होंने कहा कि अदालत जाना कोई विकल्प नहीं है। मौला ने कहा कि किसान संगठन 11 जनवरी को आगे की कार्रवाई पर निर्णय करेंगे।
कांग्रेस ने किसानों के सुर में सुर मिलाया : कांग्रेस ने किसान संगठनों और सरकार के बीच नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को कहा कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लिया जाना ही इस मुद्दे का समाधान है, क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा समाधान नहीं है।
पार्टी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में सोशल मीडिया अभियान भी चलाया जिसके तहत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लोगों से किसान आंदोलन के पक्ष में आवाज बुलंद करने की अपील की।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान के लिए भारत बोले अभियान के तहत वीडियो जारी कर कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होता है। हमारे किसान बहन-भाई जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे देश भर से समर्थन मिल रहा है। आप भी उनके समर्थन में अपनी आवाज़ जोड़कर इस संघर्ष को बुलंद कीजिए ताकि कृषि-विरोधी क़ानून ख़त्म हों।