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Last Updated : शुक्रवार, 26 सितम्बर 2014 (11:35 IST)

30 सितंबर तक लद्दाख से हट जाएगी चीनी सेनाः सुषमा स्वराज

30 सितंबर तक लद्दाख से हट जाएगी चीनी सेनाः सुषमा स्वराज - Sushma Swaraj to Chinese troops
संयुक्त राष्ट्र संघ। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत और चीन ने लद्दाख सीमा पर चल रहे गतिरोध का समाधान कर लिया है और सैनिकों की वापसी शुक्रवार से शुरू हो कर 30 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। सुषमा ने इस मुद्दे के समाधान को एक ‘बड़ी उपलब्धि’ बताया।
 
चीन के विदेश मंत्री से मिलने के बाद सुषमा स्वराज ने कहा कि 30 सितंबर तक चीनी सेना लद्दाख से हट जाएगी। सुषमा स्वराज ने कहा, 'मुझे यह बताते हुए खुशी है कि दोनों देश ने बातचीत करके बॉर्डर विवाद को सुलझा लिया है।' 
 
गौरतलब है कि सुषमा स्वराज ने गुरुवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से यूएन में मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बॉर्डर विवाद पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के दौरान बॉर्डर विवाद का साया रहा फिर भी यह दौरा कई मायने में ऐतिहासिक रहा। सुषमा स्वराज ने यह भी बताया कि दोनों देश की सेना 1 सितंबर के पोजीशन पर वापस लौट जाएगी।

विदेश मंत्री ने यहां जारी संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से अलग इब्सा (आईबीएसए) के विदेश मंत्रियों के साथ अपनी मुलाकात के बाद भारतीय संवाददाताओं को बताया कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दोनों देश साथ बैठे और (सीमा पर जारी गतिरोध के) मुद्दे को हल कर लिया। समय सीमा तय की जा चुकी है। सुषमा ने गुरुवार को यहां चीनी विदेश मंत्री वांग यी से संयुक्त राष्ट्र में मुलाकात की और कहा कि उन्होंने उनके साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मुद्दे पर चर्चा की।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि इस माह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नई दिल्ली यात्रा के दौरान सीमा पर हुई घटना की ‘छाया’ कहीं न कहीं उनके दौरे पर रही, हालांकि उनका दौरा अपने आप में ‘अत्यंत ऐतिहासिक’ था और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले। चीनी राष्ट्रपति की पहली भारत यात्रा के दौरान ही लद्दाख के चुमार क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध उत्पन्न हो गया था।

इलाके में पिछले रविवार को उस समय तनाव उत्पन्न हो गया था, जब चीन की सीमा की तरफ सड़क बना रहे कुछ चीनी मजदूर भारत की तरफ आ गए थे और उन्होंने दावा किया कि उन्हें भारतीय क्षेत्र में 5 किलोमीटर अंदर तिबले तक सड़क बनाने के आदेश हैं। सुषमा ने कहा कि सैनिकों की वापसी आज शुरू होगी और 30 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के सैनिक अपने उस स्थान पर लौट जाएंगे जहां वे एक सितंबर 2014 को थे।

उन्होंने कहा कि बुरा दौर खत्म हो जाएगा और 30 सितंबर तक सैनिकों की वापसी पूरी हो जाएगी। मैंने इस बारे में चीनी विदेश मंत्री से बात की थी। मैं इसे बड़ी उपलब्धि मानती हूं। सुषमा स्वराज ने बताया कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और वर्ष 2015 तक इसकी स्थायी सदस्यता में विस्तार सहित सुधार की प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत के मुद्दे पर भी चीन के साथ चर्चा की। वर्ष 2015 में विश्व संगठन की 70 वीं सालगिरह होगी।
 
अगले पन्ने पर लेकिन बॉर्डर पर चीन चाहता है कुछ और...

निगरानी चौकियां हटाने की मांग : चीन चाहता है कि सीमा से भारतीय सेना की निगरानी चौकियां हटाई जाए। मतलब कि सीमा से सेना हटाई जाए। 
 
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर हो रही कोशिशों के बीच भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते कई दिनों से जारी गतिरोध तोड़ने की कोशिशें अभी तक इच्छित नतीजे नहीं दे पाई हैं। चीनी सेना ने लद्दाख के गतिरोध को कई बार पेश आने वाली 'अपरिहार्य घटना' करार दिया है।
 
वहीं समाधान का रास्ता निकालने के लिए गुरुवार को प्रस्तावित फ्लैग मीटिंग के परिणामों पर भी संशय बरकरार है। सूत्रों के अनुसार भारतीय खेमा जहां चीनी सेना से 10 सितंबर से पहले की स्थिति में लौटने पर जोर दे रहा है। वहीं कथित तौर पर चीन सेना भारत से कुछ निगरानी चौकियां हटाने की मांग कर रही है।
 
इस बीच चीनी आग्रह पर लद्दाख के चुशूल में होने वाली फ्लैग मीटिंग को लेकर फिलहाल दोनों ओर से चुप्पी है। ऐसे में माना जा रहा है कि अभी समाधान के किसी फार्मूले पर सहमति नहीं बन सकी है। लद्दाख के चुमार क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय हद लांघ जमी चीनी सेना ने गतिरोध को अनिर्धारित सीमा पर कभी-कभी पेश आने वाली अपरिहार्य घटना बताया।
 
हालांकि चीनी सैन्य प्रवक्ता गैंग येंशेंग ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों ओर से किए जा रहे प्रयासों के चलते स्थिति प्रभावी तौर पर नियंत्रण में है। साथ ही कोशिशें जारी हैं कि इस मसले को जल्द सुलझा लिया जाए।
 
उल्लेखनीय है कि इस कड़ी में बुधवार को चीनी राजदूत ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी। वहीं बीजिंग में भी भारत की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा के हालात को लेकर मामला उठाया गया था।
 
गत 18 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात में इस बात पर जोर दिया था कि सीमा की छोटी घटनाएं भी रिश्तों में बड़ी समस्या बन सकती हैं।