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Last Updated : गुरुवार, 11 मई 2023 (12:39 IST)

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, LG दिल्ली सरकार की सलाह मानने को बाध्‍य, चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यवस्था

supreme court decision on delhi
Supreme court Verdict on Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों के पास शक्ति है। एक्जिक्यूटिव मामलों में फैसले का अधिकार उपराज्यपाल के पास है, जबकि चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यवस्था होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार है। साथ ही उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की सलाह माननी चाहिए।
 
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों पर केंद्र सरकार की दलीलों से निपटना जरूरी है। पीठ केंद्र सरकार की राज्य की शक्तियों पर दी गई दलीलों से सहमत नजर नहीं आई। CJI ने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार, लेकिन अधिकार दूसरे राज्यों से कम है। चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही होती है। 
 
उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुछ मामलों में फिलहाल LG का एकस्व अधिकार है। दिल्ली के लिए संविधान में संघीय मॉडल है, लेकिन केंद्र के अधिकार से राज्य का काम प्रभावित नहीं होना चाहिए। सरकार चलाने के सिद्धांत पर ध्यान रखना होगा। कोर्ट ने कहा कि केंद्र का कानून ना हो तो दिल्ली सरकार को कानून बनाने का अधिकार।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्‍य बातें... 
  • सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली सरकार को राहत। 
  • उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य। 
  • चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यवस्था। 
  • विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार।
  • सेवाओं पर दिल्ली सरकार को नियंत्रण रखना चाहिए।
  • दिल्ली सरकार को ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार। 
  • अधिकारियों की तैनाती का अधिकार सरकार का।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं।
 
पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की 5 दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
 
संविधान पीठ का गठन, दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए किया गया था। पिछले साल छह मई को शीर्ष न्यायालय ने इस मुद्दे को 6 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।