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Last Modified: गुरुवार, 17 जून 2021 (18:10 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नहीं वापस होगा 12वीं कक्षा बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नहीं वापस होगा 12वीं कक्षा बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला - Supreme Court said – will not return the decision to cancel the 12th class board exam
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का फैसला वापस नहीं होगा और इसके साथ ही सीआईएससीई और सीबीएसई की मूल्यांकन योजना को मंजूरी दे दी जिसमें 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर क्रमश: 30:30:40 का फॉर्मूला अपनाया जाएगा।
 
 काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (सीआईएससीई) ने हालांकि कहा कि वह विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए पिछले 6 कक्षाओं के प्रदर्शन पर विचार कर रहा है जबकि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 12वीं के विद्यार्थियों के अंतिम नतीजों को तैयार करने के लिए 10वीं, 11वीं अैर 12वीं कक्षा के प्रदर्शन को आधार बनाने का प्रस्ताव किया है।
 
दोनों बोर्ड ने कहा कि वे 31 जुलाई या उससे पहले नतीजे घोषित करेंगे। सीबीएसई ने अदालत को अपनी मूल्यांकन प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 12वीं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के आधार पर, 30 प्रतिशत 11वीं कक्षा के अंक के आधार पर और 40 प्रतिशत अंक 12वीं कक्षा की छमाही परीक्षा या प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर दिए जाएंगे।
 
सीबीएसई ने कहा कि वास्तविक आधार पर प्रायोगिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन में मिले अंक जिसे स्कूल सीबीएसई के पोर्टल पर अपलोड किया गया है उस पर भी अंतिम नतीजे तैयार करते वक्त गौर किया जाएगा।
 
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की विशेष अवकाश पीठ ने इसके साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि सीबीएसई और सीआईएससीई द्वारा 12वीं की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। सिंह का तर्क था कि समान विधि प्रवेश परीक्षा (सीएलएटी) पांरपरिक तरीके से कराया जाएगा।
 
पीठ ने कहा कि हमें इसमें कोई शक नहीं है कि इस मामले को आगे नहीं ले जाया जाना चाहिए। हमने पहले ही सैद्धांतिक रूप बोर्ड द्वारा लिए गए फैसले को स्वीकार किया है और जिसे हमारे सामने रखा गया था। वैसे भी जो विद्यार्थी अंकों में सुधार के लिए परीक्षा देना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं यह व्यस्था ऐसे विद्यार्थियों का ख्याल रखती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो जो विद्यार्थी परीक्षा देना चाहते हैं उनको लेकर कोई पूर्वाग्रह नहीं होगी। 
वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टाया मूल्यांकन योजना को स्वीकार करने को लेकर कोई आशंका नहीं है और बोर्ड इस पर आगे बढ़ सकते हैं।
 
 पीठ ने सीबीएसई की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीआईएससीई का पक्ष रख रहे अधिवक्ता जेके दास से कहा कि हालांकि, (मूल्यांकन) योजना में विवाद समाधान का प्रवाधान उस स्थिति में होना चाहिए अगर विद्यार्थी अंतिम नतीजे में सुधार चाहते हैं और दूसरा नतीजे घोषित होने और वैकल्पिक परीक्षा के लिए समय सारिणी जारी होती है।’’
 
दोनों बोर्ड ने पीठ के सुझाव पर सहमति जताई और इस मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी गई है, उस समय वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह मूल्यांकन योजना पर अपना पक्ष रखेंगे।
 
पीठ ने कहा,‘‘ हम इस मामले को सोमवार को सुनेंगे। आप (सीआईएससीई और सीबीएसई) अपनी योजना को अंतिम रूप देने और अधिसूचित करने को स्वतंत्र हैं। अगर कोई सुझाव आता है तो हम उसपर विचार कर सकते है।’’ इसके साथ ही पीठ ने कहा कि सिंह के सुझाव को बाद में शामिल किया जा सकता है।
 
उच्चतम न्यायालय कोरोना वायरस महामारी की स्थिति के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) की 12वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कराने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
 
विभिन्न राज्यों द्वारा 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने को लेकर दायर कुछ अंतरिम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि आवेदन की प्रति राज्य सरकारों के लिए वकीलों को दिया जाए।
 
अंत में वेणुगोपाल ने कहा,‘‘सीबीएसई का अस्तित्व वर्ष 1929 से है और बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।’’
 
उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रणाली इसके लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने ईजाद की है और इसी मकसद से सीबीएसई ने कक्षा 10, 11 और कक्षा 12 के छात्रों के प्रदर्शन पर विचार करने का निर्णय किया है। (भाषा)
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