• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Supreme court rejects appeal of SIT investigation in Justice Loya case
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 19 अप्रैल 2018 (12:15 IST)

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जज लोया की मौत की SIT जांच नहीं

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जज लोया की मौत की SIT जांच नहीं - Supreme court rejects appeal of SIT investigation in Justice Loya case
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष जज बीएच लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु की स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर याचिकाएं गुरुवार को खारिज कर दीं। न्यायाधीश लोया की 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने की मृत्यु हो गई थी। लोया अपने सहयोगी की बेटी की शादी में नागपुर गए थे। 
 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर न्यायपालिका को विवादित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
 
पीठ ने कहा कि लोया की मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में 4 जजों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। साथ ही रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों और उनकी जांच यह साबित करती है कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं से यह एकदम स्पष्ट है कि इसका असली मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला करने का प्रयास था। न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मकसद से इस तरह की ओछी और हित साधने वाली याचिकाएं दायर की जा रही हैं। 
 
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बीएच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं और महाराष्ट्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी तकरार हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ताओं के इस तरह के आचरण को लेकर पीठ ने गहरी नाराजगी व्यक्त की थी।
 
महाराष्ट्र सरकार की ओर से बार-बार यह दावा किया गया था कि स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकाएं प्रायोजित हैं। राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि याचिकाओं का मकसद इस एक व्यक्ति के खिलाफ मुद्दे को हवा देते रहना है। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि इस मामले में जांच का आदेश नहीं दिया जाए, क्योंकि इससे न्यायाधीशों और न्यायपालिका के प्रति लोगों के मन में संदेह पैदा होगा। 
 
इन याचिकाओं पर सुनवाई के राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि याचिका में किए गए अनुरोध पर कोई भी आदेश देते समय न्यायालय को बहुत सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि जांच के आदेश देने की स्थिति बंबई उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीशों और यहां तक कि प्रशासनिक समिति को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के अंतर्गत अपने बयान दर्ज कराने होंगे।
 
इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए बंबई लॉयर्स एसोसिएशन, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोन ने शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की थीं। (भाषा)