सबरीमला मंदिर मामले पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने के उसके फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर तत्काल सुनवाई से मंगलवार को इंकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन की दलील पर विचार किया।
विजयन ने अपने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा के माध्यम से दायर की याचिका में दलील दी कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने प्रतिबंध हटाने का जो फैसला दिया वह ‘पूरी तरह असमर्थनीय और तर्कहीन है।’
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के बहुमत से दिए फैसले में कहा था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाना लैंगिक भेदभाव है और यह परम्परा हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है।