पूर्व CBI निदेशक अश्वनी कुमार ने इस कारण से की आत्महत्या, सुसाइड नोट में खुलासा
नई दिल्ली/शिमला। हाईप्रोफाइल आरुषि हत्याकांड की जांच करने वाले सीबीआई (CBI) के पूर्व निदेशक अश्वनी कुमार बुधवार को अपने शिमला स्थित आवास पर फांसी के फंदे से लटके पाए गए।
अधिकारियों ने बताया कि 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार (69) बुधवार शाम छोटा शिमला के पास ब्रोकहॉर्स्ट स्थित आवास पर फांसी के फंदे से लटके मिले।
राज्य पुलिस प्रमुख कुंडु ने बताया कि हमें एक सुसाइड नोट मिला है जिस पर उन्होंने लिखा है कि वह एक नई यात्रा पर जा रहे हैं। उनके परिवार के सदस्य उस वक्त घर में ही थे जब वे कमरे में गए। उन्होंने कमरा भीतर से बंद किया और नायलोन की रस्सा से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
परिवार को किसी गड़बड़ी की कोई आशंका नहीं है। हमने कमरे में रखी चीजों को जब्त कर लिया है। पोस्टमॉर्टम गुरुवार की सुबह होगा। अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच से लगता है कि पिछले 6 महीने में कुमार के सक्रिय जीवन में आया ठहराव, उनका अचानक यूं घर में बंद होकर रह जाना आत्महत्या का कारण जान पड़ता है, लेकिन पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है।
उनके पड़ोसियों में से एक ने पीटीआई को बताया कि कुमार हमेशा की तरह शाम को टहलने गए थे। घर आने के बाद वे बरसाती में गए। पड़ोसी ने बताया कि परिवार को कोई सदस्य उन्हें रात के भोजन के लिए बुलाने बरसाती में गया था, उसी ने सबसे पहले उनका शव देखा। कुमार के परिवार में पत्नी और बेटा हैं।
कुमार के पुराने सहकर्मी और मौजूदा अधिकारी भी उन्हें मृदुभाषी और हमेशा मुस्कुराते रहने वाला व्यक्ति बताते हैं। हिमाचल प्रदेश के नाहन के रहने वाले कुमार 2008 में सीबीआई के निदेशक बने थे जब एजेंसी आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच कर रही थी।
कुमार ने विजय शंकर की जगह सीबीआई के निदेशक का पद संभाला था। उस दौरान आरुषी हत्याकांड लगभग रोज सुर्खियों में रहता था। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार खास दस्ता विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के साथ भी काम किया है।
संप्रग सरकार ने 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख कुमार वर्तमान में शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे। (भाषा)